Wednesday , 29 March 2023

पुस्तकालय संस्कृति को फिर से जिंदा करने की आवश्यकता: डाॅ. सहारण

उदयपुर (Udaipur) . पुस्तक एवं पुस्तक संस्कृति के छीजते इस समय में सबसे बड़ी चिंता पुस्तक भंडारों को बचाना और उन्हें जनउपयोगी बनाना है. पुस्तक और पुस्तकालय कैसे पाठकों की पहुंच में आए और पाठक कैसे पुस्तकालयों से जुड़े, यह आज का जरूरी संवाद है. पुस्तकालय संस्कृति को फिर से जिंदा करने की आवश्यकता है.

ये विचार मंगलवार (Tuesday) शाम को राजस्थान (Rajasthan) साहित्य अकादमी में पुस्तकालय समिति की बैठक में अकादमी अध्यक्ष डाॅ. दुलाराम सहारण ने व्यक्त किए. सहारण ने कहा कि अकादमी का पुस्तकालय तीस हजार के लगभग पुस्तकों से समृद्ध है और उदयुपर के लोगों को इसका लाभ लेना चाहिए. बैठक में समिति सदस्य डाॅ. नवीन नंदवाना, डाॅ. मलय पानेरी, डाॅ. हुसैनी बोहरा, डाॅ. करूणा दशोरा, प्रतिनिधि डाॅ. कुलशेखर व्यास ने भी विचार रखे. अकादमी सरस्वती सभा एवं पुस्तकालय समिति सदस्य सरिता भारत अलवर, डाॅ. सत्यनारायण सोनी हनुमानगढ, मधु खंडेलवाल अजमेर (Ajmer) भी बैठक में ऑनलाइन जुड़े.

समिति सदस्य डाॅ. सोनी ने कहा कि स्थानीय भाषा सहित विभिन्न भाषाओं की पुस्तकों के साथ-साथ राजस्थान (Rajasthan) के समस्त साहित्यकारों की कृतियों की एक-एक प्रति पुस्तकालय में होनी चाहिए. सदस्य मधु खंडेलवाल ने कहा कि प्रांत के साहित्यकारों की प्रकाशित पुस्तकों की सूची भी अकादमी वेबसाइट पर होनी चाहिए. डाॅ. मलय पानेरी ने चल पुस्तकालयों से आगे विद्यालय, महाविद्यालयों के विद्यार्थी पुस्तकालय में आएं, इस बाबत विचार रखे.

डाॅ. नवीन नंदवाना ने कहा कि विधावार और वर्गवार पुस्तक कोना भी होना चाहिए. पुस्तकालय साईन बोर्ड, व्यापक प्रचार-प्रसार, पुस्तक मेला, पुस्तकालयों में पदों की भर्ती, श्रेष्ठ पाठक को पुरस्कार, भामाशाहों के सहयोग से पुस्तकें एवं चल-वाहन आदि विचार भी बैठक में आए. बैठक के अंत में पुस्तकालय प्रभारी रामदयाल मेहरा ने धन्यवाद दिया.

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