भारत में खेलों में महिलाओं की भागीदारी एवं लैंगिक मुद्दों पर आधारित विस्तृत रिपोर्ट का अनावरण

नई दिल्ली, 25 अप्रैल . भारत में खेलों में महिलाओं की भागीदारी और इससे जुड़े लैंगिक मुद्दों पर आधारित एक विस्तृत रिपोर्ट का शुक्रवार को यहां अनावरण किया गया. इस अवसर पर केंद्रीय खेल एवं सूचना प्रसारण मंत्री मनसुख मांडविया , दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया रहाटकर की गरिमामयी उपस्थिति रही.

यह गहन शोध रिपोर्ट देश में महिला खिलाड़ियों के योगदान, उन्हें उपलब्ध अवसरों और उनके समक्ष आने वाली सामाजिक और संरचनात्मक चुनौतियों का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करती है. स्त्री शक्ति एवं क्रीड़ा भारती द्वारा आयोजित इस अनावरण समारोह में क्रीड़ा भारती दिल्ली के अध्यक्ष अर्जुन पुरस्कार विजेता भानु सचदेवा समेत अनेक द्रोणाचार्य एवं अर्जुन पुरस्कार विजेता कोच और खिलाडी भी उपस्थित रहे.

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि आज का भारत प्रगति के पथ पर अग्रसर है और महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं. हालांकि, उन्होंने खेद व्यक्त किया कि खेल जगत में महिलाओं को अभी भी कई तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ता है. उन्होंने दृढ़ता से कहा कि सरकार महिला खिलाड़ियों को हर स्तर पर आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए संकल्पित है.

उन्होंने इस रिपोर्ट को मात्र एक दस्तावेज नहीं, बल्कि एक ऐसा माध्यम बताया जो देश को यह सोचने पर विवश करता है कि हम खेलों में महिलाओं को कितनी गंभीरता से लेते हैं और उनके लिए किस स्तर की सुविधाएं और आधारभूत संरचनाएं उपलब्ध कराते हैं.

मांडविया ने आगे जानकारी दी कि केंद्र सरकार ने हाल के वर्षों में ‘खेलो इंडिया’ जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं के माध्यम से खेलों में बालिकाओं की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित किया है. इसके बावजूद, उन्होंने माना कि जमीनी स्तर पर व्याप्त लैंगिक असमानता, परिवार का सामाजिक दबाव, समाज की रूढ़िवादी विचारधारा और आर्थिक विषमता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे आज भी महिला खिलाड़ियों के विकास में बड़ी बाधाएं उत्पन्न कर रहे हैं.

दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अपने संबोधन में कहा कि दिल्ली सरकार ने लड़कियों को खेलों में सक्रिय रूप से शामिल करने के लिए विशेष योजनाएं कार्यान्वित की हैं. उन्होंने बताया कि स्कूल स्तर से लेकर अंतरराष्ट्रीय मंच तक, उन्हें हरसंभव सहायता प्रदान की जा रही है. उन्होंने इस बात पर विशेष जोर दिया कि केवल नीतियों का निर्माण पर्याप्त नहीं है, वास्तविक परिवर्तन तभी आएगा जब समाज की मानसिकता में बदलाव होगा. रेखा गुप्ता ने यह भी कहा कि लड़कियों को आत्मनिर्भर और आत्मविश्वास से परिपूर्ण बनाने के लिए उन्हें खेलों से जोड़ना अत्यंत आवश्यक है.

राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया रहाटकर ने रिपोर्ट में उजागर किए गए मुद्दों पर गहरी चिंता व्यक्त की. उन्होंने बताया कि रिपोर्ट के निष्कर्षों के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों की महिला खिलाड़ियों को अक्सर कोच और खेल अधिकारियों के भेदभावपूर्ण रवैये, यौन उत्पीड़न और आवश्यक संसाधनों की कमी जैसी गंभीर समस्याओं से जूझना पड़ता है. विजया रहाटकर ने यह भी स्पष्ट रूप से कहा कि महिला खिलाड़ियों को सुरक्षा, समान वेतन, गुणवत्तापूर्ण कोचिंग सुविधाएं और मानसिक स्वास्थ्य सहायता जैसी बुनियादी जरूरतों को तत्काल पूरा करने की आवश्यकता है.

इस महत्वपूर्ण अवसर पर, राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुकी कई महिला खिलाड़ियों ने भी अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा किए. उन्होंने बताया कि किस प्रकार उन्होंने सामाजिक दबाव और आर्थिक तंगी जैसी विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अपने खेल के प्रति अटूट समर्पण बनाए रखा और किस तरह उन्हें सफलता की मंजिल तक पहुंचने में कई वर्षों का कठिन संघर्ष करना पड़ा. अनेक खिलाड़ियों ने यह भी बताया कि शुरुआती दौर में उन्हें खेलों से दूर रहने के लिए मजबूर किया गया, लेकिन उनके परिवार और प्रशिक्षकों के निरंतर समर्थन के कारण ही वे आगे बढ़ सकीं.

इस रिपोर्ट के विमोचन के साथ ही यह स्पष्ट संदेश गया कि भारत में खेलों में महिलाओं की सार्थक भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए केवल प्रोत्साहन पर्याप्त नहीं है, बल्कि इसके लिए व्यापक स्तर पर सामाजिक और नीतिगत बदलाव लाने की आवश्यकता है. सरकार, खेल संस्थान, परिवार और समाज – सभी को एकजुट होकर कार्य करना होगा, ताकि भविष्य में भारत की बेटियां न केवल ओलंपिक जैसे वैश्विक मंचों पर पदक जीतें, बल्कि खेल जगत में पुरुषों के समान सम्मानजनक स्थान प्राप्त कर सकें. यह रिपोर्ट देश के लिए एक दर्पण की तरह है, जो यह स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि इस दिशा में अभी भी बहुत कुछ किया जाना शेष है.

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