पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा अधिक

नई दिल्ली, 19 अक्टूबर . उम्र बढ़ने के साथ लोगों को कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है. ऐसे में हड्डियों से जुड़ी समस्याएं आम हैं. ऑस्टियोपोरोसिस हड्डियों की एक ऐसी बीमारी है, जिसमें समय के साथ हड्डियों में कमजोरी आने के साथ व्यक्ति को दर्द की समस्या होने लगती है.

हर साल 20 अक्टूबर को विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस मनाया जाता है. इस साल विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस की थीम “नाज़ुक हड्डियों को कहें ना” रखी गयी है. इसके बारे में लोगों को जागरूक करने लिए ने ऑर्थोपेडिक डॉ. हर्ष लापसीवाला से बात की.

डॉ. हर्ष लापसीवाला ने बताया, ”ऑस्टियोपोरोसिस एक हड्डी रोग है, जो हड्डी के खनिज घनत्व (मिनरल डेंसिटी) और हड्डी के द्रव्यमान (मास) में कमी से होता है. इससे हड्डी की ताकत में कमी आ सकती है, जिससे फ्रैक्चर (हड्डियों के टूटने) का खतरा बढ़ सकता है. यह बीमारी अक्‍सर उम्र बढ़ने के साथ ही बढ़ती है. यह ज्‍यादातर बढ़ती हुई उम्र के साथ सामने आती है.

उन्‍होंने कहा, ”इसके साथ ही जीन, उम्र और लिंग ऑस्टियोपोरोसिस विकसित होने की संभावनाओं को बढ़ाते है. लेक‍िन जीवनशैली में कुछ बदलावों के साथ इन संभावनाओं को कम किया जा सकता है. पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस होने की संभावना अधिक होती है, क्योंकि पुरुषों की तुलना में महिलाओं की हड्डियां छोटी और पतली होती हैं. महिलाओं को मेनोपॉज के बाद यह समस्‍या आती है. मेनोपॉज से पहले महिलाओं में हड्डियों की रक्षा करने वाला एस्ट्रोजन पूरी मात्रा में होता है, जो बाद में कम होने लगता है.” गतिहीन जीवनशैली, अत्यधिक शराब का सेवन और धूम्रपान से यह समस्‍या समय से पहले देखने को मिल सकती है.

इससे बचने के तरीकों के बारे में डॉ. हर्ष लापसीवाला में कहा, ”यह बीमारी ज्‍यादातर शरीर में कैल्शियम और विटामिन डी की कमी से होती है. इसके लिए अपनी डाइट में कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर आहार जैसे दूध और दूध से बने उत्पाद, अंडे, मछली और हरी पत्तेदार सब्जियां को शामिल करने की जरूरत है. इसके साथ ही कैल्शियम (प्रतिदिन 1,000-1,200 मिलीग्राम) और विटामिन डी (प्रतिदिन 600-800 आईयू) का सेवन सुनिश्चित करें.

डॉक्‍टर ने विटामिन डी लेने के साथ पोषक तत्‍वों से भरपूर भोजन लेने की सलाह दी है. इसके साथ ही उन्‍होंने कहा है कि इसके लिए अपने लाइफस्‍टाइल में भी बदलाव करना जरूरी है.

उन्होंने कहा कि रुमेटीइड गठिया, हाइपरथायरायडिज्म और कुछ जठरांत्र संबंधी विकार जैसी बीमारियां हड्डियों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं. आगे कहा, ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या को समय रहते ठीक किया जा सकता है. स्क्रीनिंग और जीवनशैली में बदलाव लाकर इस बीमारी से उबरा जा सकता है. जो लोग इससे जूझ रहे है उनके लिए डॉक्टर लापसीवाला ने नियमित चिकित्सा जांच के सलाह दी.

एमकेएस/