नए उपायों से कर्नाटक के सीईओ को इस बार राज्य में 72 प्रतिशत तक मतदान की उम्मीद

बेंगलुरू, 16 मार्च कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) मनोज कुमार मीना को उम्मीद है कि नए उपायों के साथ राज्य में आगामी लोकसभा चुनाव में 2019 के मुकाबले चार प्रतिशत अधिक 72 प्रतिशत या उससे अधिक भी मतदान हो सकता है.

मीना ने एक विशेष साक्षात्कार में को बताया कि चुनाव के सुचारु संचालन के लिए राज्य के 58,834 मतदान केंद्रों पर लगभग 3.5 लाख अधिकारी-कर्मचारी तैनात किए जाएंगे. इस दौरान राज्य में 30 हजार से अधिक सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जाएंगे.

उन्होंने बताया कि राज्य में अब तक लगभग 5.41 करोड़ मतदाता हैं. इनमें से 11.2 लाख पहली बार मतदाता हैं.

पेश है साक्षात्कार का कुछ अंश:

: आगामी लोकसभा चुनाव के लिए तैयारियों की क्या स्थिति है?

मीना: चुनाव के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज मतदाता सूची होती है. हमने 22 जनवरी को अपनी मतदाता सूची प्रकाशित कर दी है. तब तक, कर्नाटक में 5.37 करोड़ मतदाता थे. अपडेशन चल रहा है, इसका मतलब है कि आप नामांकन की आखिरी तारीख तक अपना नाम सूची में जुड़वा सकते हैं. 17 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति अग्रिम आवेदन कर सकता है. जो 31 मार्च से पहले 18 वर्ष के हो रहे हैं, उनका नाम अंतिम मतदाता सूची में शामिल किया जाएगा.

दूसरा, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की तैयारी. हमने पहले स्तर की जांच पिछले साल अगस्त-सितंबर में ही पूरी कर ली थी. राजनीतिक दलों के सामने ईवीएम की कार्यप्रणाली का परीक्षण किया गया. हमारे पास पर्याप्त संख्या में बैलेट यूनिट (बीयू) और कंट्रोल यूनिट (सीयू) हैं.

चुनाव को सुचारु रूप से चुनाव कराने के लिए तीसरी आवश्यकता जिला चुनाव अधिकारी, रिटर्निंग अधिकारी से लेकर एसपी और अन्य पुलिस अधिकारियों का प्रशिक्षण है. इन्हें प्रशिक्षण के लिए भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) द्वारा नई दिल्ली बुलाया गया था.

ये अधिकारी अब अपने अधीनस्थों जैसे अतिरिक्त रिटर्निंग अधिकारी, फ्लाइंग स्क्वाॅड टीम, स्टेटिक स्क्वाॅड टीम, वीडियो निगरानी टीम, व्यय निगरानी टीम और अन्य को प्रशिक्षित कर रहे हैं.

प्रत्येक बूथ पर एक पीठासीन अधिकारी और तीन मतदान अधिकारी तैनात किए जाएंगेे. हमें लगभग 3.5 लाख लोगों की आवश्यकता है. डेटाबेस तैयार है और मतदान से 10 दिन पहले उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा.

माइक्रो ऑब्जर्वर भी होंगे. उन्हें एक तिहाई मतदान केंद्रों पर तैनात किया जायेगा. वे मूलत: केंद्र सरकार के कर्मचारी हैं और सीधे पर्यवेक्षकों को रिपोर्ट करते हैं.

लगभग 50 प्रतिशत मतदान केंद्रों पर, हम 30 हजार सीसीटीवी कैमरे लगा रहे हैं. इसके माध्यम से जिला निर्वाचन अधिकारी और ईसीआई द्वारा मतदान की सीधे निगरानी की जा सकती है.

: राज्य में कितने निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं?

मीना: राज्य में 28 संसदीय क्षेत्र हैं. इनमें 21 अनारक्षित हैं और पांच एससी उम्मीदवारों के लिए व दो एसटी के लिए आरक्षित हैं. बेल्लारी और रायचूर सीटें एसटी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं, जबकि गुलबर्गा, बीजापुर, चित्रदुर्ग, कोलार और चामराजनगर सीटें एससी के लिए हैं.

: क्या आप राज्य में मतदाताओं की संख्या बता सकते हैं?

मीना: 22 जनवरी को अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन के समय हमारे पास 5.37 करोड़ मतदाता थे और 15 मार्च तक यह बढ़कर 5.41 करोड़ हो गए हैं. इनमें से 2.71 करोड़ पुरुष मतदाता हैं, जबकि 2.70 करोड़ महिलाएं हैं.

राज्य में 18 वर्ष की आयु के 11.2 लाख युवा मतदाता हैं, जो पहली बार मतदान करेंगे. राज्य में छह लाख दिव्यांग मतदाता हैं. ट्रांसजेंडर मतदाताओं की संख्या 4,920 है.

5.7 लाख मतदाता, 85 वर्ष या उससे अधिक आयु के हैं और घर से मतदान के पात्र हैं.

: मतदान बढ़ाने के लिए आप क्या प्रयास कर रहे हैं?

मीना: मतदान बढ़ाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. हमने लगभग 5,000 मतदान केंद्रों की पहचान की है, जहां पिछले चुनावों में मतदान कम रहा था. हम इसका कारण ढूंढने और उसे सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं.’

ऐसे बूथों पर 100 मीटर के अंदर साफ-सफाई, पानी की व्यवस्था, शेड और पार्किंग की जगह जैसी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी.

शहरी क्षेत्रों में मतदान केंद्र का पता लगाना कठिन होता है. इसलिए, हम मतदाताओं की पर्चियों पर क्यूआर कोड लगा रहे हैं, जिन्हें स्कैन करके मतदान केंद्र पर नेविगेट किया जा सकता है. देश में पहली बार यह पहल कर्नाटक राज्य चुनाव आयोग द्वारा एमएलसी चुनावों में शुरू की गई थी और हम इसे लोकसभा चुनावों में दोहराने जा रहे हैं.

: बेंगलुरु के लिए कोई विशेष योजना, जहां कम मतदान होता है?

मीना: बेंगलुरु के लिए, हमने उन मतदान केंद्रों की पहचान की है जहां विधानसभा चुनावों के दौरान कम मतदान हुआ था. बेंगलुरु में ऐसे लगभग 3,000 मतदान केंद्रों की पहचान की गई है.

हमें उम्मीद है कि मतदान प्रतिशत में सुधार किया जा सकता है.

: संवेदनशील मतदान केंद्रों के लिए आपकी क्या रणनीति है?

मीना: हमने उन बूथों और क्षेत्रों की मैपिंग की है, जो महत्वपूर्ण और संवेदनशील हैं. यहां आवश्यक उपाय किए जा रहे हैं. पुलिस द्वारा असामाजिक तत्वों के निष्कासन और गुंडा एक्ट लगाने जैसे उपाय पहले ही शुरू किए जा चुके हैं.

आयकर, नारकोटिक्स ब्यूरो, ईडी, वाणिज्यिक कर, उत्पाद शुल्क, राजस्व खुफिया निदेशक और नागरिक उड्डयन जैसी लगभग 14 राज्य और केंद्रीय एजेंसियां उन लोगों पर निगरानी और सतर्कता बरत रही हैं, जो मतदाताओं को प्रभावित कर सकते हैं.

हमने सभी अंतरराज्यीय सीमाओं को अलर्ट पर रखा है. कर्नाटक की सीमा से लगे छह राज्य हैं. सभी सीमा क्षेत्रों पर 172 स्थायी चेक पोस्ट हैं. इनमें 42 उत्पाद शुल्क विभाग के चेक पोस्ट शामिल हैं. चुनाव की घोषणा होते ही संयुक्त जांच चौकियां बन जाएंगी.

राज्य में 58,834 मतदान केंद्र 42,074 स्थानों पर स्थित हैं. इनमें से 37,239 ग्रामीण बूथ और 21,595 शहरी बूथ हैं. निर्देश दिए गए हैं कि कोई भी मतदान केंद्र प्रथम तल पर नहीं होना चाहिए.

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