दिल्ली में पानी की ‘किल्लत’ केजरीवाल सरकार की विफलता का नतीजा : वीरेंद्र सचदेवा

नई दिल्ली, 23 मई . एक तरफ जहां राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में लोग पानी की किल्लत से बेहाल हैं. वहीं दूसरी तरफ राजनेताओं के बीच इसे लेकर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला तेज हो गया है. बीते दिनों आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी ने दिल्ली में जारी पानी की किल्लत के लिए हरियाणा को जिम्मेदार ठहराया था. इस पर अब दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने पलटवार किया है.

उन्होंने एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा, “आतिशी का मतलब झूठ बोलना. आतिशी द्वारा दिए गए झूठे बयान के जरिए आप इन लोगों के राजनीतिक स्तर का अंदाजा सहज ही लगा सकते हैं. आतिशी जब कभी-भी बोलती हैं, तो झूठ ही बोलती हैं. एक संवैधानिक पद पर बैठीं महिला का झूठ बोलना शोभा नहीं देता है और यह झूठ नहीं है, बल्कि दिल्ली के लोगों के साथ धोखा है. आम आदमी पार्टी ने ना महज दिल्ली के लोगों को धोखा दिया है, बल्कि इन्होंने हरियाणा के लोगों को भी नहीं बख्शा.“

उन्होंने कहा, “दो दिन पहले ही मैंने मीडिया के सामने इस बात का ज़िक्र किया था कि दिल्ली के कई इलाकों में पानी की किल्लत है और इसकी जिम्मेदार कोई और नहीं, बल्कि आम आदमी पार्टी है. दिल्ली सरकार की पानी उत्पादन क्षमता 956 एमजीडी है. अब आतिशी कह रही हैं कि हरियाणा ने पानी देना बंद कर दिया है. पिछले आठ दिनों में दिल्ली में 956 एमजीडी से ज्यादा पानी लग चुका है.“

उन्होंने आगे कहा, “14 तारीख को दिल्ली सरकार ने पानी उत्पादन क्षमता 989.1 बताई थी. लेकिन वो फिलहाल ज्यादा पानी ले रही है. ऐसी स्थिति में पानी की किल्लत पैदा होगी ही. पानी की किल्लत आम आदमी पार्टी के कुप्रबंधन से पैदा हुई है. यह ‘आप’ की विफलता और भ्रष्टाचार का नतीजा है. चुनाव नजदीक आते ही ये लोग झूठ बोलना शुरू कर देते हैं और हर छोटी बड़ी विफलता के लिए दूसरे राज्यों की सरकारों को जिम्मेदार ठहराते हैं.“

वीरेंद्र सचदेवा ने कहा, “अरविंद केजरीवाल को कितने दिन हो गए जेल से बाहर आए, लेकिन अभी तक उन्होंने दिल्ली में जारी पानी की किल्लत पर एक शब्द तक नहीं बोला है. दिल्ली में हर गर्मी में पानी का संकट पैदा होता है. हर बार सरकार ‘समर एक्शन प्लान’ तैयार करती है, ताकि इस संकट से निपटा जाए और इस एक्शन प्लान की पहली बैठक मार्च के अंतिम सप्ताह में होती है, लेकिन इस बार नहीं हुई, जिससे यह साफ जाहिर होता है कि दिल्ली सरकार को महज अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने से मतलब है. उन्हें दिल्ली की जनता के हितों से कोई लेना-देना नहीं है.“

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