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New Delhi, 26 नवंबर . आयुर्वेद हमेशा कहता है कि हमारा शरीर हर चीज पर प्रतिक्रिया करता है, बस शरीर के संकेतों को समझने की जरूरत होती है. बीमार होने से पहले और सुधार होते समय भी शरीर कई तरह के संकेत देता है. ऐसा ही एक संकेत है उल्टी यानी वमन.
उल्टी होना परेशानी की बात नहीं, बल्कि ये हमारे शरीर के लिए एक रक्षात्मक अलार्म सिस्टम है, जो संकेत देता है कि शरीर के अंदर कुछ गड़बड़ चल रही है.
आयुर्वेद में उल्टी को “छर्दि” कहा गया है. साधारण भाषा में इसे शरीर का प्राकृतिक डिटॉक्स भी कह सकते हैं, क्योंकि उल्टी होने के बाद शरीर के सारे विषैले पदार्थ बाहर निकलना शुरू हो जाते हैं. उल्टी किसी दवा के रिएक्शन से या फिर किसी बीमारी की वजह से नहीं, बल्कि शरीर खुद को बचाने के लिए वमन क्रिया करता है और सक्रिय होकर शरीर में मौजूद सभी विषैले पदार्थों को निकालता है.
कुछ परिस्थितियों में उल्टी होना शरीर के लिए हानिकारक नहीं होता है, लेकिन कुछ स्थितियों में उल्टी को रोकने के लिए डॉक्टर के परामर्श की आवश्यकता होती है, जैसे बार-बार उल्टी होना, उल्टी के वक्त पेट में दर्द या खून आना, उल्टी के साथ चक्कर आना, उल्टी के साथ शरीर में पानी की कमी होना और बुखार होना. ऐसी परिस्थिति में डॉक्टरी सलाह के बाद दवा का सेवन करना चाहिए.
हालांकि शुरुआती परिस्थितियों में घरेलू उपायों के साथ ही उल्टी और उसकी वजह से होने वाली परेशानियों में राहत पाई जा सकती है. उल्टी होने पर पुदीने का पानी पीना चाहिए, इससे पेट की जलन कम होती है. अगर पुदीने का पानी नहीं है तो पुदीने की साबुत पत्तियां भी चबाई जा सकती हैं. पुदीने का स्वाद मन को अच्छा करने में भी मदद करेगा. हो सके तो इसमें सेंधा नमक भी मिला लें.
उल्टी को रोकने में अदरक का रस भी फायदेमंद होता है. अदरक में माइल्ड एंटीस्पास्मोडिक गुण होते हैं, जो पेट की मांसपेशियों को शांत करते हैं. इसके लिए अदरक का रस और शहद को पानी में मिलाकर ले सकते हैं. इससे चक्कर आने की परेशानी में भी राहत मिलती है. इलायची का पानी भी उल्टी से होने वाली परेशानियों में राहत देता है. इलायची की गंध और स्वाद से मन को खराब कर देने वाली मिचमिची कम होती है. इसके लिए कुछ इलायची के दानों को उबालकर पानी सिप कर पीना चाहिए.
इसके साथ ही लौंग का पानी, नारियल पानी, और जीरा पानी भी उल्टी को कम करने में मदद करेंगे.
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पीएस/वीसी