गाजियाबाद, 9 अप्रैल . गाजियाबाद की क्राइम ब्रांच ने धोखाधड़ी कर फर्जी शस्त्र लाइसेंस बनाने वाले गिरोह का पर्दाफाश करते हुए एक अंतर्राज्यीय अपराधी को गिरफ्तार किया है. उसके कब्जे से फैक्ट्री मेड 8 शस्त्र बरामद हुए हैं. आरोपी सेना में नायब सूबेदार के पद से रिटायर्ड हो चुका है.
गाजियाबाद की क्राइम ब्रांच ने जम्मू-कश्मीर राज्य से फर्जी तरीके से अवैध शस्त्र लाइसेंस तैयार कराकर पिस्टल, रिवॉल्वर, रायफल और बंदूक खरीदवाने वाले गिरोह का पर्दाफाश करते हुए गिरोह के शातिर अभियुक्त को गिरफ्तार किया है. उसके कब्जे से फैक्ट्री मेड 4 पिस्टल 32 बोर और मैगजीन, 1 रिवॉल्वर 32 बोर, 2 रायफल 315 बोर और मैगजीन, 1 डबल बैरल बंदूक 12 बोर, फर्जी शस्त्र लाइसेंस व फर्जी शस्त्र लाइसेंस तैयार करने की सामग्री, रबर स्टॉम्प आदि बरामद हुई है.
पुलिस पूछताछ में अभियुक्त प्रमेंद्र ने बताया कि वह बीए. पास है तथा आर्मी में सेना पुलिस में नायब सूबेदार पद से रिटायर है. आर्मी में नौकरी के दौरान 2012-13 में जब उसकी पोस्टिंग मॉल कैम्प हिमाचल प्रदेश में थी तो उसी दौरान वहां पर आर्मी वालों का शस्त्र लाइसेंस बनवाने के लिए जम्मू-कश्मीर से 3-4 एजेंट आते रहते थे. प्रमेंद्र को भी लाइसेंस बनवाना था तो उसने भी एक एजेंट जिसका नाम अमित मुतरेजा उर्फ अनिकेत अवस्थी उर्फ अनिरूद्ध शास्त्री था, उससे संपर्क किया.
उन्होंने प्रमेंद्र से कहा, “जम्मू-कश्मीर में हमारी जान-पहचान है, तुम्हें थोडे़ से पैसे खर्च करने पड़ेंगे, हम ही तुम्हारा शस्त्र लाइसेंस बनवाकर दे देंगे.” प्रमेंद्र ने चक्कर काटने से बचने के लिए अमित मुतरेजा को 15,000 रुपये और अपना पहचानपत्र व अन्य कागज दिए थे.
पुलिस ने बताया है कि अमित मुतरेजा ने जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जनपद से प्रमेंद्र का शस्त्र लाइसेंस बनवा दिया था और कहा, “मेरी जम्मू-कश्मीर मे शस्त्र लाइसेंस बनाने वालों से अच्छी बात है, तुम्हारा कोई भी जानकार हो जो आर्मी की नौकरी न करता हो तो भी मैं उसका शस्त्र लाइसेंस बनवा दूंगा, लेकिन उसमें खर्चा ज्यादा आएगा और उसमें प्रमेंद्र को कमीशन भी मिलेगा.”
पुलिस ने बताया कि अमित की यह बात सुनकर प्रमेंद्र के मन में लालच आ गया. उसके बाद प्रमेंद्र ने गाजियाबाद व नोएडा के अपने जानने वाले कुछ लोगों से संपर्क करके अमित मुतरेजा के साथ मिलकर शस्त्र लाइसेंस बनवाने के लिए उन लोगों के पहचानपत्र व अन्य कागजात लेकर उनके कागजों में कुछ और फर्जी कागजात लगाकर जम्मू कश्मीर के जनपद किश्तवाड़ व कुपवाड़ा में जिलाधिकारी कार्यालय के शस्त्र विभाग में कुछ अधिकारी कर्मचारियों के साथ सेटिंग से उनके फर्जी शस्त्र लाइसेंस बनवा दिए थे. कुछ लोगों के कागजों की छायाप्रति प्रमेंद्र ने अपने पास रखी थी. पिस्टल का लाइसेंस बनवाने के लिए प्रमेंद्र उन लोगों से 80,000 रुपये प्रति लाइसेंस व रायफल के लाइसेंस के 90,000 रुपये प्रति लाइसेंस लिए थे.
पूरी प्रक्रिया समझने व देखने के बाद प्रमेंद्र को लगा कि जम्मू कश्मीर से शस्त्र लाइसेंस बनाना बहुत आसान है तो उसने वहां के शस्त्र कार्यालय में सेटिंग से कुछ सादी शस्त्र लाइसेंस की किताबें निकलवा ली थी. बाद में उसने उन किताबों को अपने शस्त्र लाइसेंस के जैसा तैयार करके उनमें अपने लाइसेंस के यूनिक नंबर में हेरा-फेरी करके फर्जी बनवाई गई स्टॉम्प लगाकर तैयार कर फर्जी शस्त्र लाइसेंस बना दिए और जिसका लाइसेंस होता, उसे शस्त्र दिलवाने के लिए प्रमेंद्र स्वयं आर्मी की वर्दी पहनकर फर्जी लाइसेंस लेकर गन हाउस पर जाकर पिस्टल, रायफल, रिवॉल्वर, बंदूक दिलवा देता था.
पुलिस ने बताया कि प्रमेंद्र ने उन लोगों को फर्जी लाइसेंस पर शस्त्र मेरठ, बुलंदशहर व नोएडा स्थित गन हाउस से खरीदवाए थे, जिन लोगों को प्रमेंद्र ने फर्जी शस्त्र लाइसेंस दिए थे. लोगों को यह जानकारी नहीं थी कि उनके शस्त्र लाइसेंस फर्जी हैं. प्रमेंद्र के वर्दी में होने के कारण गन हाउस वालों को भी उस पर शक नहीं होता था. शस्त्र लाइसेंस का रिन्यूवल करवाने के लिए प्रमेंद्र शस्त्र लाइसेंस धारकों से 5-5 हजार रुपये लेकर कुछ दिनों बाद फर्जी तरीके से खुद ही मुहर लगाकर व तारीख लिखकर उनको वापस दे देता था.
पुलिस ने बताया कि प्रमेंद्र व अमित मुतरेजा में पैसों के लेनदेन को लेकर विवाद हो गया था. इसके चलते बात थाने तक गई और प्रमेंद्र जेल चला गया. यीशु के लाइसेंस और बंदूक उसने अपने पास रखे हुए थे, वह लोग प्रमेंद्र के जेल से वापस आने के बाद लगातार तगादा करने लगे. जब पुलिस से शिकायत हुई तो पूरी कहानी बाहर आ गई.
पुलिस ने बताया है कि अभियुक्त शातिर किस्म का अपराधी है. इसके द्वारा नोएडा व गाजियाबाद के कई लोगों के साथ धोखाधड़ी करके फर्जी तरीके से जम्मू-कश्मीर राज्य के किश्तवाड़ व कुपवाड़ा जनपद में सेटिंग करके फर्जी तरीके से लोगों के शस्त्र लाइसेंस बनवाए गए हैं. अभियुक्त से कई अन्य महत्तवपूर्ण जानकारियां प्राप्त हुई है, जिसके आधार पर इस पूरे जालसाजी की जांच की जा रही है.
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पीकेटी/एबीएम