बिहार के सीवान में शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब के मैदान में आने से रोचक हुआ मुकाबला

पटना, 22 मई . बिहार की राजनीति में बाहुबलियों की अपनी खास पहचान रही है. सीवान की चर्चा बिहार की राजनीति में होती रही है. अपने अंदाज में राजनीति करने वाले बाहुबली नेता शहाबुद्दीन भी इस क्षेत्र से चार बार सांसद चुने गए.

इस चुनाव में सीवान लोकसभा क्षेत्र में महागठबंधन की ओर से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी को मैदान में उतारा गया है. एनडीए की ओर से जदयू ने विजयलक्ष्मी को मैदान में उतारकर मुकाबले को कांटे का बना दिया है.

इस बीच, पूर्व सांसद शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब भी निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गई हैं. इसके बाद मुकाबला और रोचक हो गया है. सीवान संसदीय क्षेत्र के तहत छह विधानसभा सीवान, जीरादेई, दरौली, रघुनाथपुर, दरौंदा और बरहड़िया आते हैं. माना जाता है कि इस क्षेत्र में यादव, मुस्लिम, राजपूत जातियों का खासा प्रभाव है.

2019 के लोकसभा चुनाव में जदयू की कविता सिंह एक लाख से ज्यादा वोटों से जीती थीं. लेकिन, उस चुनाव में यहां से भाकपा माले ने भी अपना उम्मीदवार उतारा था.

तब राजद की हिना शहाब को 3.31 लाख और भाकपा माले के अमरनाथ यादव को करीब 74 हजार वोट मिले थे. 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के ओम प्रकाश यादव ने राजद की हिना को पराजित किया था. उस चुनाव में ओम प्रकाश को 3,72,670 मत मिले थे, जबकि हिना शहाब को 2,58,823 मतों से संतोष करना पड़ा था.

वर्ष 2009 के चुनाव में भी हिना को ओमप्रकाश ने बतौर निर्दलीय पराजित किया था. हिना शहाब भले ही चौथी बार चुनाव मैदान में उतरी हैं, लेकिन राजनीति में उनकी पहचान आज भी इस क्षेत्र का चार बार लोकसभा में प्रतिनिधित्व करने वाले उनके दिवंगत पति मोहम्मद शहाबुद्दीन से ही होती है.

शहाबुद्दीन की राजनीतिक पारी की शुरुआत वर्ष 1990 में निर्दलीय विधायक के रूप में हुई थी. वर्ष 1992 से 2004 तक वे चार बार इलाके के सांसद चुने गए.

राजद के प्रत्याशी अवध बिहारी चौधरी को जहां मुस्लिम-यादव समीकरण के अलावा मल्लाह और दलितों के वोट बैंक के सहारे जीत की उम्मीद है, वहीं जदयू को सवर्ण जाति के अलावा वैश्य, अति पिछड़े और दलित जाति के साथ मोदी लहर पर भरोसा है. एनडीए के प्रत्याशी और कार्यकर्ता राष्ट्रवाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के व्यक्तित्व को लेकर मतदाताओं के पास पहुंच रहे हैं. वहीं, बिहार के पुराने ’जंगलराज’ को भी याद करवा रहे हैं.

महागठबंधन जातीय मुद्दे और सरकार की वादाखिलाफी को लेकर मतदाताओं को रिझाने में लगा है.

ऐसे में कहा जा रहा है कि दोनों गठबंधनों के लिए चुनाव तक अपने वोट बैंक को सुरक्षित रखने की चुनौती है. इस क्षेत्र में छठे चरण के तहत 25 मई को मतदान होना है. जबकि, परिणाम 4 जून को घोषित किए जाएंगे.

एमएनपी/एबीएम/