सुप्रीम कोर्ट ने संदेशखाली मामले में सीबीआई जांच के खिलाफ याचिका पर पश्चिम बंगाल सरकार से पूछे सवाल

नई दिल्ली, 29 अप्रैल सुप्रीम कोर्ट ने संदेशखाली में जमीन हड़पने और जबरन वसूली के मामलों की अदालत की निगरानी में चल रही सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) जांच के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा याचिका दायर करने पर सवाल पूछा है.

न्यायमूर्ति बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्य सरकार से पूछा कि कुछ निजी व्यक्तियों के हितों की रक्षा के लिए उसने याचिका क्यों दायर की?

पीठ में शामिल न्यायमूर्ति संदीप मेहता ने राज्य सरकार द्वारा विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर करने पर सवाल उठाते हुए कहा कि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने केवल भूमि हथियाने और अन्य आरोपों की जांच का आदेश दिया था.

राज्य सरकार के रुख को स्पष्ट करते हुए, वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता ने कहा कि याचिका उच्च न्यायालय के आदेश में निहित कुछ निष्कर्षों और अनुचित टिप्पणियों के खिलाफ दायर की गई है.

इस पर न्यायमूर्ति मेहता ने कहा, “यदि आप असंतुष्ट हैं, तो उच्च न्यायालय जा सकते हैं और टिप्पणियों को हटाने की मांग कर सकते हैं.”

राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अतिरिक्त जानकारी दाखिल करने के लिए मामले के स्थगन की मांग की.

सिंघवी ने कहा, “क्या दो या तीन सप्ताह के बाद इस पर विचार किया जा सकता है, क्योंकि यह जानकारी प्रासंगिक होगी.”

इसी तर्ज पर, गुप्ता ने कहा, “हम केवल एक सप्ताह का समय मांग रहे हैं. हम कुछ सामग्री रिकॉर्ड पर रखना चाहते हैं.”

इस पर न्यायमूर्ति मेहता ने कहा, “आपको एसएलपी के साथ ऐसा करने से किसने रोका?”

जुलाई में गर्मी की छुट्टियों के बाद मामले को स्थगित करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि शीर्ष अदालत के समक्ष लंबित याचिका का उपयोग “किसी भी अन्य उद्देश्य ” के लिए नहीं किया जाएगा, इसमें कलकत्ता उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित कार्यवाही को लम्बा खींचना भी शामिल है.

10 अप्रैल को अपने एक आदेश में, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सीबीआई को उस उद्देश्य के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित कर मामले की जांच का निर्देश दिया.

मुख्य न्यायाधीश टी.एस. शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने जांच एजेंसी से उच्च न्यायालय को एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपने को कहा था. इसके बाद उच्च न्यायालय अगली कार्रवाई पर फैसला करेगा.

संदेशखाली में अवैध भूमि कब्जाने और जबरन वसूली के संबंध में कलकत्ता उच्च न्यायालय के समक्ष कई जनहित याचिकाएं (पीआईएल) दायर की गईं हैं. इसमेें तृणमूल कांग्रेस से निलंबित शेख शाहजहां को मुख्य आरोपी बनाया गया है.

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