नई दिल्ली, 22 मई . प्रकृति ने हमें कई पेड़-पौधे दिए हैं, जो औषधीय गुणों से भरपूर हैं. शीशम उन्हीं में से एक है. शीशम की लकड़ी को आमतौर पर फर्नीचर में इस्तेमाल होने के लिए जाना जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद है. खासकर महिलाओं के लिए यह किसी प्राकृतिक औषधि से कम नहीं. शीशम की छाल, पत्ते और बीजों में ऐसे गुण होते हैं जो शरीर की अंदरूनी सफाई, हार्मोन संतुलन, और महिला रोगों में राहत देने में मदद करते हैं. आयुर्वेद में इसे ‘स्त्रियों के लिए अमृत’ समान माना गया है. यह एक ऐसा पेड़ है जो न सिर्फ छांव देता है, बल्कि सेहत की छाया भी बन सकता है.
शीशम का वानस्पतिक नाम डैल्बर्जिया सिसो है. शीशम की जड़ से लेकर, पत्ते, तने और अंदर की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है. इसकी लकड़ी और बीजों से निकलने वाला तेल बहुत गुणकारी होता है. शीशम के बीजों से निकाले गए तेल का उपयोग त्वचा रोगों के उपचार के लिए किया जाता है, जबकि इसकी लकड़ी के चूर्ण को बाहरी रूप से लेप के रूप में लगाने पर कुष्ठ रोग और अन्य त्वचा रोगों के उपचार के लिए उपयोग किया जाता है.
महिलाओं में कई बार हार्मोन असंतुलन की वजह से पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं या मूड स्विंग्स, चिड़चिड़ापन, थकान जैसी समस्याएं होती हैं. ऐसे में शीशम काफी फायदेमंद होता है. इसका काढ़ा या पत्तों का अर्क लेने से पीरियड्स में होने वाली ऐंठन, पेट दर्द, और अत्यधिक रक्तस्राव में राहत मिलती है. इसके लिए शीशम के पत्तों का रस बहुत लाभदायक होता है. वहीं, अगर महिलाओं को स्तनों में सूजन की बीमारी है, तो इसमें भी शीशम का इस्तेमाल कर इसे दूर किया जा सकता है. इसके लिए शीशम के पत्तों और शीशम के काढ़े दोनों का इस्तेमाल किया जाता रहा है.
महिलाओं में अक्सर त्वचा संबंधी समस्याएं जैसे कि फुंसी, दाग-धब्बे, खुजली, या रैशेज होती हैं. शीशम का तेल और इसके पत्तों का रस इन समस्याओं को कम करने में मदद करते हैं. यह त्वचा के इन्फेक्शन को दूर करता है. वहीं बालों में अक्सर रूखापन, झड़ना, या सफेद होना जैसी समस्याएं होती हैं. शीशम का तेल या पत्तों का रस बालों को पोषण देता है और उन्हें मजबूत बनाता है. इससे न सिर्फ बालों के झड़ने की समस्या दूर होती है, बल्कि रूसी से राहत मिलती है और बाल सिल्की होते हैं.
इसके अलावा, यह पेशाब का रुक-रुक कर आना या जलन होना, जैसी बीमारियों के लिए भी कारगर है. इसके लिए भी शीशम के पत्ते का काढ़ा बनाकर पिया जाता है. इससे पेशाब का रुक-रुक कर आना, पेशाब में जलन होना, पेशाब में दर्द होना आदि में लाभ होता है. ब्लड सर्कुलेशन को सही रखने में भी शीशम के पत्ते के रस का उपयोग किया जाता है.
शीशम के पत्तों का रस पेट में जलन के लिए भी लाभदायक होता है और यह पाचन शक्ति के लिए भी बेहतर होता है.
शीशम के पत्तों में मौजूद एंटी-बैक्टीरियल गुण शरीर को इंफेक्शन से बचाने में मदद करते हैं. घाव में भरने के लिए भी शीशम का इस्तेमाल किया जाता है. यह प्राकृतिक हीलिंग में मददगार है. इसके अलावा, पत्तों का पेस्ट सीधे जोड़ों पर लगाना भी असरदार होता है.
इसके साथ ही नियमित रूप से इसका सेवन करने से गैस, अपच और एसिडिटी में भी आराम मिलता है. इसका रस पीने से ओरल हेल्थ में सुधार होता है और जिन लोगों को मुंह से बदबू आती है या दांतों का दर्द व मसूड़ों में तकलीफ होती है, तो वे लोग भी इसके पत्तों को चबाकर इन समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं.
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पीके/एएस