चंडीगढ़, 28 मार्च . बोमन ईरानी ने निर्देशन की दुनिया में कदम रखा है. पुरानी यादों को ताजा करते हुए एक्टर ने बताया कि जब उनकी मां ने स्टेज और सिनेमा के प्रति उनके प्यार को समझा, तो उन्होंने उन्हें बार-बार फिल्में देखने के लिए प्रोत्साहित करना शुरू कर दिया.
सिनेवेस्टर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल 2024 (सीआईएफएफ) के दौरान ‘चलचित्र टॉक्स’ के सीईओ और सह-संस्थापक वैभव मुंजाल के साथ बातचीत में, बोम ईरानी ने फिल्म देखने के अनुभवों के बारे में बताया.
एक्टर, जो ‘मुन्ना भाई एमबीबीएस’ में अपने काम के लिए जाने जाते हैं, ने कहा, ”मैं बातूनी बच्चा नहीं था. मैं तुतलाता था, हकलाता था, मुझे बोलने में दिक्कत होती थी, इसलिए मैं कभी ज्यादा नहीं बोलता था. सच तो यह है कि मैंने कुछ बोला ही नहीं, मुझे किसी प्रकार के आउटलेट की जरूरत थी. एक दिन जब मैं बच्चा था तो मैं स्टेज पर था और मेरी मां दर्शकों के बीच बैठी थी और वह कोने में कहीं से मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी.”
अपने बचपन के बारे में बात करते हुए ईरानी ने कहा, ”मैं बहुत दुखी और घबराया हुआ बच्चा था. मेरा जन्म मेरे पिता की मृत्यु के बाद हुआ था, इसलिए मैं महिलाओं से घिरा रहता था और बेहद शर्मीला था. मैं अब भी हूं. मैं केवल अपनी घबराहट छुपाने के लिए इतनी बड़ी आवाजें निकालता हूं, इसलिए मैं इसे सिनेमा और स्टेज तक लेकर जाता हूं.”
एक्टर ने आगे कहा, ”मेरी मां समझ गईं कि मुझे स्टेज और सिनेमा पसंद है. उन्होंने मुझे बार-बार फिल्में देखने के लिए प्रोत्साहित किया, भले ही मैंने वो फिल्में पहले भी देखी थीं. मैंने पूछा ‘क्यों मां’, उन्होंने कहा, ‘ताकि तुम लिरिक्स, ड्रामा और एक्टिंग को समझ जाओ.”
ईरानी ने आगे कहा कि हर तरह की फिल्में देखना जरूरी है.
ईरानी ने कहा, ”मुझे अपना पहला पासपोर्ट 35 साल की उम्र में मिला. मैंने पहले कभी सफर नहीं किया था. फिल्मों ने मुझे अलग-अलग शहरों, संस्कृतियों और भोजन को देखते हुए दुनिया की यात्रा कराई. मुझे कहानी सुनाना पसंद है. मेरी मां घर आती और मुझसे परिवार के सामने पूरी कहानी दोहराने को कहती थीं.”
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