लखनऊ, 11 अप्रैल . उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान मौनी अमावस्या पर हुई भगदड़ की घटना को लेकर शुक्रवार को न्यायिक आयोग के सामने लखनऊ में केंद्रीय अस्पताल के चिकित्सक और पीड़ित परिवार के सदस्य पेश हुए.
बांदा में आर्थोपेडिक विभाग में तैनात डॉक्टर विनय ने बताया कि बयान गोपनीय है. न्यायिक जांच हो रही है, इस कारण इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है. 29 जनवरी को जो घटना हुई थी, उसी के संदर्भ में बयान हुआ है. हमारी सेंट्रल हॉस्पिटल में तैनाती थी, जिसमें एनेस्थीसिया, ऑर्थोपेडिक और इमरजेंसी के हेड को बुलाया गया था. यहां पर बयान के लिए पहली बार आए हैं. एसआईटी में बयान दर्ज हो चुका है. आज हम सात लोग आए थे. इसमें तीन डॉक्टर, फार्मासिस्ट, वार्ड बॉय, स्टाफ नर्स और मैट्रन शामिल थे.
उन्होंने बताया कि एक व्यक्ति से आधा-आधा घंटे बात हुई है. वहां तीन लोगों के सामने बयान दर्ज हुए. इमरजेंसी से जुड़े सवाल किए गए कि कितने मरीज आए. सूची के बारे में भी पूछा गया. लेकिन, वह हमारे रिकॉर्ड में नहीं है. हम लोग बयान के लिए सुबह दस बजे आ गए थे. 15 मिनट बाद पूछताछ शुरू हो गई थी. पीड़ित लोगों को भी बुलाया गया था. उनके परिवार के पांच से छह लोग आए थे. उनके भी बयान हुए हैं. अभी दोबारा आने के बारे में कोई सूचना नहीं है.
बता दें कि प्रयागराज महाकुंभ में मौनी अमावस्या के मौके पर स्नान के लिए उमड़ी भीड़ में भगदड़ की स्थिति बन गई, जिसमें 30 लोगों की मौत हो गई थी और 60 अन्य घायल हो गए थे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हादसे की जांच के लिए तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया था. इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति हर्ष कुमार की अध्यक्षता वाले इस आयोग में सेवानिवृत्त आईएएस अफसर डीके. सिंह और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी वीके. गुप्ता भी शामिल हैं.
आयोग को अपने गठन के एक महीने के अंदर मामले की जांच रिपोर्ट देनी थी. इस सिलसिले में जारी अधिसूचना के मुताबिक, आयोग भगदड़ के कारणों और परिस्थितियों की जांच करेगा. साथ ही भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति रोकने से जुड़ा सुझाव भी देगा.
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विकेटी/एबीएम