माफिया मुख्तार अंसारी को फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में आजीवन कारावास की सजा

वाराणसी, 13 मार्च . उत्तर प्रदेश के बांदा जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी को बुधवार को करीब 36 साल पुराने गाजीपुर के फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. मुख्तार अंसारी पर जुर्माना भी लगा है. माफिया मुख्तार की सजा को लेकर 54 पेज का फैसला आया है.

विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए कोर्ट) अवनीश गौतम की अदालत ने बुधवार को मुख्तार अंसारी को सजा सुनाई. इस दौरान मुख्तार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये पेश किया गया. इसी अदालत ने ही 5 जून 2023 को अवधेश राय हत्याकांड में मुख्तार अंसारी को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. मुख्तार को अब तक सात मामलों में सजा मिल चुकी है. आठवें मामले में दोषी करार दिया गया है.

अभियोजन पक्ष का मुख्तार अंसारी के खिलाफ आरोप था कि दस जून 1987 को दोनाली कारतूसी बंदूक के लाइसेंस के लिए जिला मजिस्ट्रेट के यहां प्रार्थना पत्र दिया गया था. जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर से संस्तुति प्राप्त कर शस्त्र लाइसेंस प्राप्त कर लिया गया था. इस फर्जीवाड़ा का उजागर होने पर सीबी-सीआईडी द्वारा चार दिसंबर 1990 को मुहम्मदाबाद थाना में मुख्तार अंसारी, तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर समेत पांच नामजद एवं अन्य अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया.

मुख्तार के वकील श्रीनाथ त्रिपाठी ने कहा कि घटना के समय उसकी उम्र सिर्फ 20 से 22 वर्ष थी और उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं था. वकील ने कहा कि मुख्तार उस समय जनप्रतिनिधि भी नहीं थे, शस्त्र खरीदने का साक्ष्य नहीं है. भ्रष्टाचार के आरोप से बरी हो गए हैं, ऐसे में इस अदालत को दोषी पाए गए धाराओं में सजा सुनाने का अधिकार नहीं है.

हालांकि, अभियोजन पक्ष की ओर से कहा गया कि प्रभाव का इस्तेमाल किया गया, जो समाज विरोधी अपराध है. सात मामलों में सजा सुनाई जा चुकी है, जिसमें उम्रकैद भी शामिल है. 20 मामले अभी लंबित हैं, ऐसे में अधिकतम सजा दी जाए.

विकेटी/एबीएम