जानिए, ‘वृद्धदारु’ को क्यों कहा जाता है ‘बुढ़ापे की लाठी’

नई दिल्ली, 27 मई . बुढ़ापे में शारीरिक कमजोरी, थकान और दुर्बलता को दूर करने के लिए वृद्धदारु का सेवन करना लाभकारी सिद्ध हो सकता है. आयुर्वेद में इसे वृद्धदारु या विधारा भी कहा जाता है. विधारा एक औषधीय बेलनुमा पौधा है जिसके अंदर कई लाभकारी गुण छिपे हैं. बढ़ती उम्र में इसका नियमित सेवन करने से कई लाभ प्राप्त होते हैं. विधारा के फूल, पत्तियां, जड़ें और बीज विभिन्न रोगों के उपचार में इस्तेमाल किए जाते हैं. आयुर्वेद में इसके कई लाभ बताए गए हैं.

विधारा पौधे को वृद्धदारु इसीलिए कहा जाता है क्योंकि यह बुढ़ापे में शारीरिक कमजोरी और थकान को दूर करने में सहायक होता है. नियमित सेवन करने से नसों और मांसपेशियों को शक्ति मिलती है, जिससे उम्रदराज लोगों में नई ताजगी का अनुभव होता है. विधारा का लाभ सबसे ज्यादा यौन कमजोरी को ठीक करने के लिए किया जाता है. नियमित सेवन करने से शुक्र धातु (प्रजनन तत्व) को पोषण मिलता है और यौन शक्ति बढ़ती है. यह महिलाओं और पुरुष दोनों की यौन कमजोरी को दूर करता है.

विधारा का सेवन पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है. विधारा की जड़ और पत्तियों में एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर के घाव को ठीक करने में मददगार साबित होते हैं. इस पौधे की पत्तियों का लेप बनाकर घाव पर लगाया जाए तो काफी आराम मिलता है. इसके इस्तेमाल से चेहरे के मुंहासे और दाग-धब्बे को दूर किया जा सकता है और चेहरा चमक उठता है. विधारा की पत्तियों का सेवन नियमित तौर पर किया जाए तो इम्यूनिटी भी बढ़ती है और व्यक्ति नई ताजगी के साथ नए जोश और उमंग के साथ बढ़ता है.

इसके साथ ही, इसका नियमित तौर पर इस्तेमाल करने से गठिया और जोड़ों के दर्द में राहत मिलती है. गठिया और जोड़ों के दर्द में विधारा की पत्तियों का लेप बनाकर लगाया जाए तो काफी आराम मिलता है. विधारा (पौधे) के जड़ के चूर्ण का इस्तेमाल दूध या पानी में आवश्यकता के अनुसार दिन में एक से दो बार किया जा सकता है. इसका काढ़ा बनाकर भी सेवन किया जा सकता है. हालांकि, अधिक मात्रा में इसका सेवन नहीं करना चाहिए. सेवन करने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह लेना भी काफी जरूरी है.

डीकेएम/केआर