जापान ने नौ बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए भारत को दिया 12,814 करोड़ रुपये का ऋण

नई दिल्ली, 20 फरवरी . जापान सरकार ने मंगलवार को भारत में विभिन्न क्षेत्रों की नौ परियोजनाओं के लिए लगभग 12,814 करोड़ रुपये का आधिकारिक विकास सहायता (ओडीए) ऋण देने की प्रतिबद्धता जताई.

भारत की ओर से वित्त मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव विकास शील और जापान की ओर से यहाँ जापान के राजदूत सुजुकी हिरोशी ने समझौते पर हस्ताक्षर किये.

जिन नौ परियोजनाओं के लिए ओडीए ऋण सहायता दी जानी है, वे हैं – उत्तर पूर्व सड़क नेटवर्क कनेक्टिविटी सुधार परियोजना (चरण 3) (दूसरी किस्त): धुबरी-फुलबारी पुल; उत्तर पूर्व सड़क नेटवर्क कनेक्टिविटी सुधार परियोजना (चरण 7): एनएच 127बी (फुलबारी-गोएराग्रे खंड); तेलंगाना में स्टार्ट-अप और इनोवेशन को बढ़ावा देने की परियोजना; चेन्नई पेरिफेरल रिंग रोड (चरण 2) के निर्माण की परियोजना; हरियाणा में सतत बागवानी को बढ़ावा देने के लिए परियोजना (पहली किस्त); राजस्थान में जलवायु परिवर्तन प्रतिक्रिया और पारिस्थितिकी तंत्र सेवा संवर्धन के लिए परियोजना; कोहिमा स्थित नागालैंड इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च में मेडिकल कॉलेज अस्पताल की स्थापना के लिए परियोजना; उत्तराखंड में शहरी जल आपूर्ति प्रणाली में सुधार के लिए परियोजना; और समर्पित माल गलियारा परियोजना (चरण 1) (पाँचवीं किस्त).

सड़क नेटवर्क कनेक्टिविटी परियोजनाओं का लक्ष्य देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास में सुधार करना है. चेन्नई पेरिफेरल रिंग रोड परियोजना का उद्देश्य यातायात में भीड़ को कम करना और राज्य के दक्षिणी हिस्से में कनेक्शन को मजबूत करना है.

वित्त मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि नागालैंड में परियोजना सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज में योगदान देने वाले मेडिकल कॉलेज अस्पताल को विकसित करके तृतीयक स्तर की चिकित्सा सेवा वितरण विकसित करने में मदद करेगी.

इसमें तेलंगाना में एक अनूठी परियोजना भी शामिल है जो महिलाओं और ग्रामीण आबादी पर ध्यान केंद्रित करेगी.

हरियाणा टिकाऊ बागवानी को बढ़ावा देने और फसल विविधीकरण तथा बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा देकर किसानों की आय में सुधार करेगी. राजस्थान में वानिकी परियोजना वनीकरण, वन और जैव विविधता संरक्षण के माध्यम से पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को बढ़ाएगी.

पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में, परियोजना का लक्ष्य शहरी कस्बों को स्थिर जलापूर्ति प्रदान करना है. डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर परियोजना की पांचवीं किस्त नई समर्पित माल ढुलाई प्रणाली के निर्माण में मदद करेगी और माल ढुलाई में वृद्धि को संभालने में सक्षम इंटरमॉडल लॉजिस्टिक्स सिस्टम का आधुनिकीकरण करेगी.

“आर्थिक साझेदारी, भारत-जापान संबंधों का एक प्रमुख स्तंभ, पिछले कुछ वर्षों में लगातार प्रगति हुई है. इन महत्वपूर्ण परियोजनाओं के लिए नोट्स के आदान-प्रदान से भारत और जापान के बीच रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी और मजबूत होगी.”

एकेजे/