वैश्विक तेल मांग में वृद्धि का नेतृत्व करने के लिए तैयार भारत : आईईए

नई दिल्ली, 7 फरवरी . अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, भारत अब से 2030 के बीच वैश्विक तेल मांग में वृद्धि का सबसे बड़ा स्रोत बन जाएगा. बुधवार को गोवा में भारत ऊर्जा सप्ताह 2024 के दूसरे संस्करण में जारी आईईए की ‘इंडियन ऑयल मार्केट आउटलुक टू 2030’ रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक तेल बाजार में भारत की भूमिका शेष दशक में काफी हद तक बढ़ने की उम्मीद है.

रिपोर्ट के अनुसार, शहरीकरण, औद्योगीकरण, गतिशीलता और पर्यटन के लिए तैयार एक अमीर मध्यम वर्ग का उदय, साथ ही स्वच्छ खाना पकाने तक अधिक पहुंच प्राप्त करने के प्रयास, तेल की मांग में बढ़ावा देंगे.

भारत लगभग 1.2 मिलियन बैरल प्रति दिन (एमबी/डी) की वृद्धि दर्ज करने की राह पर है, जो अनुमानित वैश्विक आधार पर 3.2 एमबी/डी के एक तिहाई से अधिक है, जो 2030 तक 6.6 एमबी/डी तक पहुंच जाएगा.

इसके अलावा रिपोर्ट में पाया गया कि बड़े पैमाने पर औद्योगिक विस्तार का मतलब है कि मांग में वृद्धि का सबसे बड़ा स्रोत डीजल/गैसऑयल है, जो देश की मांग में लगभग आधी वृद्धि और 2030 तक कुल वैश्विक तेल मांग वृद्धि के छठे हिस्से से अधिक है.

इसके अलावा, जेट-केरोसीन की मांग औसतन लगभग 5.9 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से, लेकिन अन्य देशों की तुलना में कम आधार पर, जोरदार ढंग से बढ़ने की ओर अग्रसर है. गैसोलीन में औसतन 0.7 प्रतिशत की वृद्धि होगी क्योंकि इलेक्ट्रिक वाहन अपनी रफ्तार से बढ़ रहे हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण आबादी के लिए स्वच्छ खाना पकाने में भारत सरकार की विश्व-अग्रणी प्रगति के कारण पिछले दशक में एलपीजी आयात लगभग तीन गुना बढ़ गया है और आगे की पहल से 2030 तक मांग में वृद्धि जारी रहेगी.

रिपोर्ट बताती है कि भारतीय तेल कंपनियां घरेलू तेल मांग में वृद्धि को पूरा करने के लिए रिफाइनिंग में भारी निवेश कर रही हैं. अगले सात वर्षों में, 1 एमबी/दिन नई रिफाइनरी क्षमता जोड़ी जाएगी जो चीन के बाहर दुनिया के किसी भी अन्य देश से अधिक है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि कई अन्य बड़ी परियोजनाएं वर्तमान में विचाराधीन हैं जो 6.8 एमबी/डी से अधिक की क्षमता बढ़ा सकती हैं, जिसकी हम अब तक उम्मीद करते हैं.

इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि, संयुक्त रूप से, नए ईवी और ऊर्जा दक्षता में सुधार से 2023-2030 की अवधि में 480 केबी/डी अतिरिक्त तेल की मांग से बचा जा सकेगा.

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के परिवहन क्षेत्र के डीकार्बोनाइजेशन में जैव ईंधन की भी महत्वपूर्ण भूमिका होने की उम्मीद है. भारत की इथेनॉल मिश्रण दर लगभग 12 प्रतिशत दुनिया में सबसे अधिक है, और देश ने 2026 की चौथी तिमाही में गैसोलीन में राष्ट्रव्यापी इथेनॉल मिश्रण को दोगुना कर 20 प्रतिशत करने की अपनी समय सीमा पांच साल आगे बढ़ा दी है.

गोवा में 6-9 फरवरी तक आयोजित होने वाला भारत ऊर्जा सप्ताह 2024, भारत का सबसे बड़ा और एकमात्र ऊर्जा सम्मेलन है. सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक तेल एवं गैस सीईओ और विशेषज्ञों के साथ एक गोलमेज बैठक भी की.

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