नई दिल्ली, 12 अक्टूबर . आपने कई लोगों को यह कहते हुए सुना होगा कि चिंता चिता के समान होती है. अगर समय रहते इस चिंता से छुटकारा पाने की दिशा में कोई उचित कदम नहीं उठाया गया, तो कोई गुरेज नहीं यह कहने में कि यह आपको ऐसी समस्याओं की गिरफ्त में ला देगी, जो आगे चलकर आपके स्वास्थ्य को बुरी तरह से प्रभावित भी कर सकती है. इन्हीं में से एक है पैनिक अटैक.
हो सकता है कि आपके जेहन में भी कई दफा यह सवाल आया होगा कि आखिर पैनिक अटैक होता क्या है? इसके नाम से ही जाहिर हो रहा है कि यह पैनिक यानी डर से जुड़ा है. जब कोई डर आपकी मानसिक मनोदशा पर बार-बार प्रहार करे, तो उस स्थिति को पैनिक अटैक कहते हैं.
चिकित्सक बताते हैं कि यह एक निर्धारित प्रक्रिया के अंतर्गत डर का रूप धारण करता है. पहले आपको विषय को लेकर चिंता होती है. बाद में जब यह चिंता गहरा जाती है, तो यह डर का रूप धारण करता है और बाद में यह डर जब आपकी मानसिक स्थिति पर एक निश्चित समय में या यूं कहे कि एक निश्चित अंतराल में आपकी मनोदशा पर प्रहार करने लग जाए, तो आप समझ जाइए कि यह पैनिक अटैक है, लेकिन आपको घबराने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है. डॉक्टर बताते हैं कि जिस तरह से अन्य बीमारियों के उपचार उपलब्ध हैं, ठीक उसी प्रकार से इसके भी उपचार मौजूद हैं, जिन्हें अपनाकर आप इनसे छुटकारा पा सकते हैं.
ने इस संबंध में गुरुग्राम स्थित फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ मानसिक सलाहकार डॉ. मंतोष कुमार ने विस्तृत बातचीत की. उन्होंने कहा कि आज की तारीख में कई लोग इस पैनिक अटैक की जद में आ रहे हैं. इसके पीछे की वजह भागदौड़ भरी जिंदगी के साथ ही कई बातों को लेकर चिंता करना भी है.
डॉ. मंतोष कुमार पैनिक अटैक के लक्षणों के बारे में बताते हैं कि यह आपके आंतरिक डर की अवस्था है. इस दौरान, मरीज अपने जीवन में कई तरह की परिस्थितियां भी महसूस करता है. इस परिस्थिति में मरीज के दिल की धड़कनें तेज हो जाती हैं. सांस लेने में दिक्कत होती है. मरीज के जेहन में यह डर बैठ जाता है कि मेरे साथ कुछ बहुत बुरा होने वाला है. इस अवस्था में रक्तचाप भी बढ़ जाता है, बहुत ज्यादा पसीना आ जाता है. इस दौरान मरीज को लगता है कि वह अब मरने वाला है. ऐसी अवस्था में मरीज को तुरंत अस्पताल में भर्ती करवाना चाहिए, ताकि उसके निदान का मार्ग प्रशस्त हो सके.
वह आगे बताते हैं कि आमतौर पर मरीज को पैनिक अटैक किसी विशेष स्थिति में होता है. जैसे की मान लीजिए कि कोई मरीज लिफ्ट में होता है, तो उसे पैनिक अटैक आता है. इसके बाद देखा गया है कि मरीज के जेहन में लिफ्ट को लेकर डर बैठ जाता है. उसके जेहन में यह डर रहता है कि अगर मैं लिफ्ट में जाऊंगा, तो लिफ्ट रुक जाएगी और मैं फंस जाऊंगा. मुझे कोई बचाने वाला नहीं होगा. ऐसी स्थिति में वह हमेशा-हमेशा के लिए लिफ्ट से दूर ही हो जाता है. कभी-कभी पुराने पैनिक अटैक को सोचकर भी मरीज में पैनिक अटैक होता है. कई बार कोई बुरी घटना याद आने पर भी मरीज को पैनिक अटैक हो जाता है. कभी-कभी देखा गया है कि किसी मरीज में फ्लाइट को लेकर भी पैनिक अटैक आता है, तो वह फ्लाइट से यात्रा करने से गुरेज करने लग जाता है.
उन्होंने बताया कि जब किसी मरीज में पैनिक अटैक आए, तो उसे मनोचिकित्सक से मिलना चाहिए. इसके लिए कुछ दवाएं भी हैं, जिसका इस्तेमाल करके आप राहत पा सकते हैं. आप चाहें तो चिकित्सक से परामर्श भी ले सकते हैं. इससे आपको काफी राहत भी मिल सकती है.
डॉ. मंतोष कुमार बताते हैं कि अगर आप पैनिक अटैक से दूर होना चाहते हैं, इससे पूर्ण रूप से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो इसके लिए सबसे पहले खुद को नशे से दूर करना होगा. प्रतिदिन व्यायाम करना भी फायदेमंद होता है.
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एसएचके/एकेजे