मुंबई, 9 जनवरी . दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 का रण जीतने के लिए राजनीतिक दलों के नेता वोटरों को लुभाने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं. इस सियासी हलचल के बीच महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर भविष्यवाणी की थी, जिस पर उन्होंने अब सफाई दी है. कांग्रेस नेता का कहना है कि मेरी टिप्पणी को गलत संदर्भ में लिया गया.
पृथ्वीराज चव्हाण सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “दिल्ली विधानसभा चुनाव पर मेरी टिप्पणी को गलत संदर्भ में लिया गया. अगर इंडिया गठबंधन साथ मिलकर चुनाव लड़ता तो गठबंधन की जीत पक्की होती. अब जब सभी प्रमुख पार्टियां मैदान में हैं, तो यह खुला चुनाव हो गया है. कांग्रेस पार्टी ने जबरदस्त गति पकड़ी है और मुझे पूरा विश्वास है कि हम विजयी होंगे.”
पृथ्वीराज चव्हाण की टिप्पणी के बाद कांग्रेस नेताओं ने आपत्ति जताई थी. अरविंद केजरीवाल के खिलाफ नई दिल्ली सीट से मैदान में उतरे कांग्रेस उम्मीदवार संदीप दीक्षित ने उनकी टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि पृथ्वीराज चव्हाण को लगता है कि केजरीवाल की पार्टी अच्छा कर रही है, तो उन्हें आम आदमी पार्टी शामिल हो जाना चाहिए. हालांकि, पृथ्वीराज चव्हाण ने अपनी टिप्पणी पर सफाई दी.
बता दें कि आठ जनवरी को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने से बात करते हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर कहा था कि दिल्ली के चुनाव बहुत महत्वपूर्ण हैं. शायद अरविंद केजरीवाल फिर से चुनाव जीत जाएंगे. कांग्रेस भी चुनाव में हिस्सा लेगी, लेकिन कांग्रेस और उनकी पार्टी के बीच गठबंधन की संभावना अब कम लग रही है. हालांकि, दिल्ली के चुनावों के बारे में अभी कुछ कहना मुश्किल है.
इसके अलावा उन्होंने ईवीएम पर भी सवाल उठाए थे. उन्होंने कहा था कि ईवीएम से छेड़छाड़ के बारे में हमारे पास कोई सबूत नहीं हैं, लेकिन इतना तय है कि यह पारदर्शी नहीं है. चुनाव आयोग को ईवीएम की बजाय फिर से पेपर बैलेट का इस्तेमाल करना चाहिए. क्योंकि पेपर बैलेट वेरीफिएबल है और उसमें कोई संदेह नहीं हो सकता.
उन्होंने यह भी कहा था, “ईवीएम लंबे समय से चुनावों में इस्तेमाल हो रही है, लेकिन हाल ही में हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनावों के बाद यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या यह प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है. चुनाव आयोग का मुख्य कार्य निष्पक्ष चुनाव कराना है और चुनाव आयोग का दायित्व यह सुनिश्चित करना है कि चुनावों की प्रक्रिया ऐसी हो, जिसमें जनता का पूरा विश्वास हो. लेकिन आज स्थिति ऐसी हो गई है कि लोगों का चुनाव प्रक्रिया पर विश्वास नहीं रहा है. कई लोगों ने विभिन्न मुद्दों पर आपत्ति जताई है और कुछ ने तो याचिका भी दायर की है. ऐसे में चुनाव आयोग की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं.”
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