कांग्रेस सनातन और राष्ट्रवाद के खिलाफ चली गई है : रोहन गुप्ता (आईएएनएस साक्षात्कार)

नई दिल्ली, 15 अप्रैल . कांग्रेस को झटका देते हुए रोहन गुप्ता ने भाजपा का दामन थाम लिया. भाजपा में शामिल होने के साथ ही रोहन गुप्ता ने कहा कि कांग्रेस लेफ्ट विचारधारा के प्रभाव में सनातन और राष्ट्रवाद के खिलाफ चली गई है. कांग्रेस में हर मुद्दे पर विरोधाभास है और जिस नेता के नाम में राम लगा है, जो कभी कोई चुनाव नहीं लड़े, वो आज कांग्रेस का एजेंडा तय कर रहे हैं.

रोहन गुप्ता गुजरात से आते हैं और कांग्रेस में वह प्रवक्ता के तौर पर अपनी पार्टी का पक्ष रखते थे. ऐसे में रोहन गुप्ता ने से खास बातचीत की और उन्होंने अपनी राजनीतिक विचारधारा, कांग्रेस की स्थिति, भाजपा में आने के कारण सहित तमाम मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी.

रोहन गुप्ता से जब की तरफ से पूछा गया कि आप 15 साल तक लगातार कांग्रेस के साथ रहे, अचानक पारी से ब्रेक ले लिया, क्या वजह है?

तो, उन्होंने कहा कि किसी भी आदमी के लिए 15 साल एक पार्टी के लिए सब कुछ देने के बाद यह निर्णय करना बहुत कठिन होता है. हम लोग पॉलिटिक्स में कुछ निजी फायदे के लिए नहीं आए हैं. कुछ देने की भावना थी, कुछ करने की भावना थी और जो भी पार्टी ने जिम्मेदारी दी, उसे बखूबी निभाया, ईमानदारी से निभाया और सफलतापूर्वक निभाया. मैं देख रहा था कि पार्टी के नैरेटिव सहित हर चीज में विरोधाभास है.

उन्होंने कहा कि पार्टी का एक समर्पित कार्यकर्ता होने के बाद भी मेरे खिलाफ एक तरह से साजिश की गई. उन्होंने कहा कि मैं अपने काम में लगा हुआ था. चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा था. मेरे पिताजी की तबियत भी बिगड़ गई. फिर जो कुछ हुआ, उसके बाद मैंने निर्णय लिया कि मैं चुनाव नहीं लड़ूंगा. रोहन ने कहा कि 15 साल जहां काम किया, उनको अगर मुझ पर भरोसा नहीं है तो कहीं न कहीं दिल टूट गया और मुझे अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए यह चीज करनी पड़ी.

रोहन गुप्ता ने आगे से कहा कि सनातन के अनादर और अपमान पर जब हमने बोलना शुरू किया तो हमको कहा गया कि आप चुप रहिए. आप लोगों को किसी को इस पर नहीं बोलना है. राम मंदिर के कार्यक्रम में निमंत्रण की बात थी. ऐसे में पार्टी के वरिष्ठ नेता एक बार तो बोलते कि सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर आ गया, उसके बाद हम लोग इस फैसले के साथ हैं, ऐसे में वहां नहीं जाने का क्या तुक था, मुझे नहीं मालूम है.

राम मंदिर के कार्यक्रम में सोनिया गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष के ना जाने के पीछे की वजह पर से रोहन गुप्ता ने कहा कि मुझे जितनी जानकारी है कि पार्टी के कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट को जो लोग संभाल रहे हैं. उनको पूछा गया होगा, उनका यह कहना होगा कि नहीं जाना चाहिए. आप देखेंगे कि पार्टी के इस निर्णय से कांग्रेस पार्टी के अधिकतर कार्यकर्ता, नेता सब आहत थे. किसी को समझ में नहीं आ रहा था कि इतनी बड़ी गलती क्यों कर रहे हैं.

रोहन ने आगे कहा कि राम मंदिर को मुद्दा भाजपा ने नहीं बल्कि कांग्रेस ने बनाया. राम मंदिर तो लोक आस्था का विषय है, कांग्रेस के नेता वहां चले जाते तो राजनीति नहीं होती. लेकिन, पार्टी के नेताओं के वहां नहीं जाने के निर्णय ने बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं का दिल तोड़ा है. क्योंकि प्रभु श्री राम कोई धर्म की बात नहीं, राम हमारी संस्कृति के और राम सनातन धर्म के प्रतीक हैं.

रोहन ने आगे से कहा कि कई मुद्दे और हैं. जैसे उद्योगपतियों के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बोला जाता है और उन्हीं उद्योगपतियों के साथ में राज्य के स्तर पर एमओयू साइन किया जाता है, यह विरोधाभास नहीं चल सकता है.

रोहन ने आगे कहा कि जिस अरविंद केजरीवाल के खिलाफ पार्टी ने कहा कि वह खालिस्तान से मिले हुए हैं, भ्रष्टाचार में लिप्त हैं. आज पार्टी उनके साथ खड़ी है. आखिर क्या मजबूरी है. आपकी जो सेंट्रल आइडियोलॉजी है, उसके खिलाफ नहीं जा सकते. जनता इसको स्वीकार नहीं करेगी.

रोहन ने आगे से कहा कि प्रवक्ता का काम नहीं है कि पार्टी का नैरेटिव डिसाइड करे. प्रवक्ता का काम है कि पार्टी जो नैरेटिव देती है उसको जनता के सामने मीडिया के माध्यम से लेकर जाए. पर, हम जब उसे लेकर जाते हैं तो उसमें कंसिस्टेंसी तो होनी चाहिए. नहीं तो हम जवाब क्या देंगे? फिर भी हमने जवाब दिया और दूसरा प्रवक्ता का काम होता है कि ग्रासरूट का जो फीडबैक है या मीडिया का जो फीडबैक है, वह हम लोग लीडरशिप को कम्युनिकेट करें और लीडरशिप जब स्ट्रेटजी बनाती है, तब इस फीडबैक को लेकर उसमें अगर कुछ चेंज करना है, वह करे. लेकिन, वह कभी नहीं हुआ.

रोहन ने आगे कहा कि आज कांग्रेस ईवीएम का विरोध कर रही है. दो बार 2004 में और 2009 में पार्टी ईवीएम से ही चुनाव जीती. इसके साथ ही रोहन ने कहा कि पार्टी ने राज्यों के चुनाव में ओपीएस को मुद्दा बनाया और सेंट्रल चुनाव में ओपीएस का मुद्दा गायब कर दिया.

रोहन ने से कहा कि कांग्रेस का हमेशा सेंट्रल एप्रोच रहा है. लेकिन, कांग्रेस पार्टी आज कॉम्प्रोमाइज कर चुकी है. कांग्रेस, आम आदमी पार्टी के साथ में अलायंस, महबूबा मुफ्ती के साथ अलायंस, लेफ्ट पार्टी के साथ में अलायंस कर रही है. यह तीनों ऐसी पार्टियां हैं, जिसको लेकर कांग्रेस ने ही कहा कि यह देश के खिलाफ है. ऐसे में जब आप अपने मेन कोर आइडियोलॉजी के साथ समझौता कर लेंगे, फिर जनता क्यों आपको वोट देगी?

जिस तरह से धीरे-धीरे करके लोग कांग्रेस छोड़कर जा रहे हैं, क्या किसी को रोकने का प्रयास नहीं किया जाता है? इसके जवाब में रोहन ने को बताया कि रोकने की बात छोड़िए. मैंने कहा कि मेरे पिताजी हॉस्पिटल में थे. चार दिन वह एडमिट रहे. किसी का फोन नहीं आया. फोन जाने दीजिए. तब, यह साजिश होती रही कि कांग्रेस से रोहन गुप्ता को कैसे हटाया जाए, प्रवक्ता पद से कैसे हटाया जाए.

के सवाल, पिछले 10 वर्षों में आपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल को भी देखा है, आपको क्या लगता है, देश में क्या-क्या बदलाव हो रहे हैं?

रोहन ने कहा कि देखिए, जब मैंने 22 तारीख को कांग्रेस पार्टी छोड़ा और 11 तारीख मतलब करीब 20 दिन के बाद मैंने भारतीय जनता पार्टी को ज्वाइन किया. मैंने काफी मन मंथन किया. मुझे लगा कि आगे का जो स्टेप लूंगा, मुझे समझकर लेना होगा. यह नहीं था कि चलो प्लानिंग था तो कर दिया. मैंने काफी चीजें देखी. प्रधानमंत्री मोदी 24×7 जिस तरह से काम करते हैं. विजन की बात करें तो उन्होंने हाइड्रोजन मिशन की बात की, वॉटरवेज की बात की, उन्होंने गगनयान की बात की. उन्होंने हाईवे नेटवर्क को कैसे बढ़ाया जाए, वह बात की. डिफेंस के एक्सपोर्ट को बढ़ाने की बात की. सेमीकंडक्टर की बात की, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बात की. देश को तीसरी इकॉनमी बनाने की बात की तो एक विजन होता है. आज मैं युवा हूं. मैं कुछ राजनीति में लेने नहीं. मैं कुछ देने आया हूं. तो, ऐसे में मुझे लग रहा है कि एक तरफ विजन है और दूसरी तरफ पीछे के कांच में देखकर गाड़ी को चलाया जा रहा है. आपको अगर देश की गाड़ी या पार्टी की गाड़ी को आगे लाना था तो आगे के ग्लास में आप देखेंगे तो एक्सीडेंट नहीं होगा. मैं आज देख रहा हूं कि जिस प्रकार से कांग्रेस पार्टी पीछे के कांच में देखकर गाड़ी चला रही है, ऐसे में एक्सीडेंट होना स्वाभाविक है.

जीकेटी/