जन्म के समय वजन का जुड़ाव वयस्कों में हृदय रोग से होता है: स्टडी

लंदन, 15 फरवरी . रिसर्चर्स ने पाया कि माताओं और उनके बच्चों में साझा जोखिम वाले जीन के चलते जन्म के समय वजन का जुड़ाव वयस्कों में हृदय रोग से होता है.

अधिकतर पिछले स्टडीज से पता चला है कि छोटे कद के पैदा हुए लोगों में वयस्कता में हाइपरटेंशन और हृदय रोग विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है.

इस घटना के बायोलॉजिकल कारण पर दशकों से बहस चल रही है, लेकिन कोई सटीक रिसर्च परिणाम नहीं है. एक थ्योरी के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान अपर्याप्त न्यूट्रिशन का सेवन विकासशील भ्रूण के मेटाबॉलिज्‍म को प्रभावित करता है, इससे ओवरन्यूट्रिशन के दौरान हृदय रोग होने की संभावना बढ़ जाती है.

जर्नल कम्युनिकेशंस बायोलॉजी में प्रकाशित निष्कर्षों से पता चला है कि विकासशील भ्रूण के विकास को प्रभावित करने वाले मैटरनल जेनेटिक फैक्टर्स बच्चे के वजन पर प्रभाव डालते है.

फिनलैंड में हेलसिंकी यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने कहा, ”ऐसा लगता है कि ये जीन बीमारी के जोखिम में केवल तभी भूमिका निभाते हैं, जब वे बच्चे में प्रवेश कर जाते हैं.

इन्फ्लुएंस

हेलसिंकी यूनिवर्सिटी में इंस्टीट्यूट फॉर मॉलिक्यूलर मेडिसिन फ़िनलैंड (एफआईएमएम) में पोस्टडॉक्टोरल रिसर्चर जाक्को लेइनोनेन ने कहा, ”कुछ मैटरनल जीन गर्भ में बच्चे की विकास स्थितियों को प्रभावित करते हैं, इससे बच्चे का जन्म के समय वजन प्रभावित होता हैं. बदले में बच्चे को मां से इन जीन्स की एक कॉपी विरासत में मिलती है.”

लीनोनेन ने कहा, ”जब हमने बच्चों की मोरबिडिटी पर बर्थ वेट वाले जीन्स के प्रभाव का अध्ययन किया, तो हमने पाया कि जन्म से पहले बच्चे के विकास में मां की वजह से होने वाले छोटे-मोटे बदलावों का बच्चे में वयस्क होने पर बीमारी विकसित होने के जोखिम पर बड़ा असर पड़ने की संभावना नहीं है. इसके बजाय, ऐसा लगता है कि बच्चे के स्वयं के जीन उसके भविष्य के स्वास्थ्य जोखिमों को निर्धारित करने में अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.”

नए रिसर्च के रिजल्ट 36,000 से ज्यादा ऐसे मां-बच्चे के जोड़े के जेनेटिक डेटा को देखकर प्राप्त किए गए थे.

रिसर्चर्स के अनुसार, पिछले जेनेटिक स्टडीज ने आंशिक रूप से अलग-अलग परिणाम दिए हैं, क्योंकि वे मां और बच्चे के जेनेटिक प्रभावों के बीच अंतर करने में सक्षम नहीं हैं.

स्टडी का नेतृत्व करने वाले डॉ तारू तुकियानेन ने कहा, “रिसर्च में हमने एक ही समय में माताओं और उनके बच्चों दोनों के जेनेटिक डेटा का उपयोग किया है. यह तरीका पता लगाने के लिए बहुत ही प्रभावी साबित हुआ है कि मैटरनल हेल्थ और गर्भ में बच्चे की स्थिति बच्चे के स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित कर सकती है.”

यह पता लगाने के लिए और ज्यादा रिसर्च की आवश्यकता है कि जन्म के समय काफी कम वजन होना या जन्म के समय वजन में अन्य महत्वपूर्ण परिवर्तन वयस्कता में बीमारी के जोखिम को कैसे प्रभावित करते हैं.

पीके/