वाशिंगटन, 16 फरवरी . व्हाइट हाउस ने बयान जारी कहा, ”अमेरिकी सरकार रंग या लिंग के आधार पर होने वाली किसी भी प्रकार की हिंसा को स्वीकार नहीं कर सकती है. भारतीय व भारतीय मूल के छात्रों पर हमलों को रोकने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं.”
गौर करने वाली बात है कि भारतीय मूल के विधार्थियों अनेक बार हमले हुए, जिस पर रोक लगाने के लिए अमेरिकी सरकार नेे अब कठोर कदम उठाने का फैसला किया है. इस साल अमेरिका में हिंसा के शिकार हुए चार भारतीयों को अपनी जान गंवानी पड़ी.
वहीं, व्हाइट हाउस ने मंगलवार को बयान जारी कर कहा, ”रंग, लिंग या धर्म के आधार पर होने वाली हिंसा को किसी भी कीमत पर स्वीकारा नहीं जा सकता.
बाइडेन सरकार भारत और अमेरिका में रह रहे भारतीय माता-पिता के जेहन में अपने बच्चों को लेकर पैदा हुए भय को दूर करने की दिशा में कड़ी मेहनत कर रही है. सरकार ने प्रतिबद्धता जताई है कि इस स्थिति से निपटने के लिए कड़ी मेहनत की जा रही है.
इसके साथ ही किर्बी ने एक सवाल का जवाब देेते हुए कहा, ”बाइडेन सरकार मौजूदा स्थिति को दुरूस्त करने और भारतीय मूल के विधार्थियों पर हो रहे हमलों को रोकने के लिए पूरा खाका तैयार कर चुकी है, जिसे जमीन पर उतारा जाएगा.”
गौरतलब है कि इस साल की शुरुआत में हिंसा का शिकार होकर भारतीय मूल के पांच विधार्थी अपनी जान गंवा चुके हैं.
वहीं, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी इस बात पर विशेष जोर दिया कि उनकी सरकार विदेश में रह रहे भारतीय विधार्थियों की सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध है.
नवंबर 2023 की ओपन डोर्स रिपोर्ट के अनुसार, यूएस में कुल विधार्थियों में से 25 फीसद भारतीय मूल के विधार्थी हैं.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका जाकर उच्च शिक्षा ग्रहण करने वाले भारतीय विधार्थियों की संख्या में 35 फीसद की बढ़ोतरी देखने को मिली है. शैक्षणिक वर्ष 2022-23 में 2,68,923 छात्रों की अब तक की सबसे अधिक संख्या हुई.
पिछले साल, भारत में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास ने दुनिया के किसी भी अन्य देश की तुलना में 140,000 से अधिक छात्र वीजा जारी किए और लगातार तीसरे वर्ष एक रिकॉर्ड स्थापित किया.
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