नई दिल्ली, 25 मई . अर्द्धचक्रासन का अर्थ ही है आधा चक्र. शरीर को भी कुछ इस तरह से घुमाया जाता है जो देखने में आधा पहिया लगता है. इस आसन में शरीर आधे पहिए के आकार का प्रतीत होता है, इसलिए इसे ‘अर्द्धचक्रासन’ कहा जाता है. अंग्रेजी भाषा में इसे “हाफ व्हील पोज़” कहते हैं. इस क्रिया से रीढ़ की हड्डी लचीली और मांसपेशियां मजबूत बनी रहती हैं. फायदा इतना भर नहीं है, बल्कि ये मोटापे का भी काट है!
21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाएगा. आइए इससे पहले इस अति उपयोगी योगासन के बारे में जानते हैं जो नौकरीपेशा लोगों की जिंदगी में आसानी पैदा कर सकता है. अर्द्धचक्रासन रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है, मांसपेशियों को सबल और साथ ही कमर के साथ पेट की चर्बी को घटाने में भी सहायक होता है. आयुष मंत्रालय के फेसबुक पोस्ट पर इसे करने का सही तरीका और फायदों का जिक्र है.
नए दौर में सुविधाएं बढ़ी हैं तो समस्याओं में भी इजाफा कम नहीं हुआ है. दफ्तर में लोग चेयर पर घंटों बैठे रहते हैं, कंप्यूटर पर काम करते हैं, नतीजतन मांसपेशियां और हड्डियों में की दिक्कत का हल खोजने डॉक्टर के पास पहुंच जाते हैं. ‘सर्वाइकल स्पॉडिलोसिस’ के बढ़ते मामले इसी ओर इशारा करते हैं. इस परिस्थिति में भी मदद का हाथ बढ़ाने वाले आसन का नाम है अर्द्धचक्रासन. ये थकान और तनाव को भी कम करता है. पाचन तंत्र भी मजबूत होता है.
आयुष मंत्रालय इसे करने का सही तरीका भी बताता है. इसके मुताबिक सीधे खड़े होकर पैरों में थोड़ा गैप रखते हुए हाथों को कमर पर रखें. फिर सांस लें, धीरे-धीरे गहरी सांस लेते हुए दोनों हाथों को कमर पर रखें. सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे कमर से पीछे की ओर झुकें. ध्यान रखें कि घुटने सीधे रहें और सिर पीछे की ओर झुके. इस स्थिति में 10-15 सेकंड तक रुकें, सामान्य सांस लेते रहें. फिर धीरे-धीरे सांस लेते हुए प्रारंभिक स्थिति में लौट आएं. इसे 3-5 बार दोहराना चाहिए.
इस योग को करते समय कुछ सावधानी भी बरती जानी चाहिए. सलाह दी जाती है कि जो हाई बीपी और दिल के मरीज हों या फिर गंभीर पीठ दर्द से जूझ रहे हों, वो न करें तो बेहतर. गर्भवती महिलाओं को भी इस आसन को नहीं करना चाहिए. सबसे जरूरी बात, किसी योग्य प्रशिक्षक के दिशा-निर्देश में इस आसन को आजमाना चाहिए.
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केआर/