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New Delhi, 21 नवंबर . एक अच्छी जीवन शैली के लिए पौष्टिक भोजन को बहुत महत्व दिया जाता है, लेकिन पौष्टिक भोजन के साथ-साथ सूर्य की रोशनी की भी आवश्यकता होती है.
शीत ऋतु के मौसम में शरीर में विटामिन डी की कमी ज्यादा हो जाती है, जिससे थकान, हड्डियों में कमजोरी, मांसपेशियों का कमजोर होना और मन बेवजह उदास होने की समस्याएं महसूस होती हैं. ऐसे में डॉक्टर सप्लीमेंट का सहारा लेने की सलाह देते हैं, लेकिन सप्लीमेंट से ज्यादा प्राकृतिक रूप से शरीर को विटामिन डी देना ज्यादा लाभकारी होता है.
शरीर को सिर्फ आहार नहीं, बल्कि धूप भी चाहिए. आयुर्वेद में विटामिन डी की कमी को अग्नि और रस धातु की कमी से जोड़कर देखा गया है. आयुर्वेद कहता है कि सूर्य के बिना शरीर की अग्नि यानी पाचन शक्ति, ओज (शरीर की लड़ने की शक्ति और चमक), रक्तधारा (ब्लड सर्कुलेशन), और धातु-पोषण (शरीर में बनने वाले उत्तकों का पोषण) अधूरा है.
जब तक शरीर को धूप का स्पर्श नहीं मिलता, तब तक शरीर इन सभी फायदों से वंचित रह जाता है. शीत ऋतु में भी सूर्य की ऊर्जा से विटामिन डी की कमी को पूरा किया जा सकता है. सुबह के सूर्य उष्णता, प्रकाश और प्राण की शक्ति से युक्त होता है, जो शरीर को वो ताकत देता है जिसकी पूर्ति विटामिन डी के सप्लीमेंट भी नहीं कर पाते हैं.
इसके लिए सबसे पहले सुबह 7–8 बजे की धूप शरीर के लिए लाभकारी होती है. ऐसे में सूती कपड़े पहनकर धूप ग्रहण करें. आयुर्वेद में इसे सूर्य स्नान भी कहते हैं.
दूसरा, सूर्य की रोशनी में ही अभ्यंग विधि करें. अभ्यंग तेल मालिश की विधि है, जो शरीर में विटामिन डी के अवशोषण को बढ़ाती है. इसके लिए पैर, हाथ, और गर्दन पर तेल मालिश करें. शीत ऋतु में जैतून का तेल, बादाम का तेल, और तिल के तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है.
तीसरा स्टेप है पौष्टिक आहार लेना. पौष्टिक आहार लेकर भी शरीर में विटामिन डी का अवशोषण बढ़ता है. विटामिन डी का अवशोषण शरीर में वसा युक्त भोजन के साथ ज्यादा अच्छे तरीके से होता है. इसके लिए तिल, मूंगफली, अलसी, गाय का दूध, मक्खन, मशरूम, सोंठ, काली मिर्च और आंवले का सेवन लाभकारी होता है. ये तीनों स्टेज शरीर को पुनर्जीवित करने की ताकत रखते हैं. ऐसा करने से हड्डियों, मांसपेशियों और मन तीनों को ताकत मिलती है.
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पीएस/एएस