जेएनयू प्रेसिडेंशियल डिबेट में एबीवीपी प्रत्याशी ने कहा, नक्सलियों ने पिता को मारा

नई दिल्ली, 21 मार्च . जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में अध्यक्ष पद के लिए प्रेसिडेंशियल डिबेट हुई. डिबेट की शुरुआत विश्वविद्यालय कैंपस में भारत माता की जय, वंदे मातरम् व जय भीम के नारों के साथ हुई.

22 मार्च को जेएनयू छात्र संघ के चुनाव होने जा रहे हैं. गौरतलब है कि जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ की प्रेसिडेंशियल डिबेट का इंतजार यहां पढ़ने वाले छात्र पिछले चार वर्षों से कर रहे थे. दरअसल, यहां छात्र संघ के चुनाव चार वर्ष बाद होने जा रहे हैं.

परंपरागत तौर पर ऐसा माना जाता है कि जेएनयू में अध्यक्ष प्रत्याशी की जीत, डिबेट में उसके भाषण प्रदर्शन पर काफी निर्भर करती है और बहुत से छात्र डिबेट सुनने के बाद किसे वोट देना है, यह तय करते हैं. इसी लिए अध्यक्ष पद के सभी प्रत्याशी इस आयोजन के लिए कड़ी मेहनत कर भाषण तैयार करते हैं.

एबीवीपी के केंद्रीय पैनल से अध्यक्ष पद के उम्मीदवार एवं अभाविप के केंद्रीय विश्वविद्यालय कार्य संयोजक उमेश चंद्र अजमीरा ने अपने भाषण में कहा कि बचपन में ही नक्सली हमले में उनके पिता चल बसे.

कुछ दिनों में मां की भी मृत्यु हो गई. उच्च शिक्षा के लिए जब जेएनयू आया तब मैं एबीवीपी परिवार के संपर्क में आया. इस परिवार ने मुझे गले लगाया, सहारा दिया और सक्षम नेतृत्व देने का मौका देते हुए सशक्त बनने की प्रेरणा और अवसर देते हुए एबीवीपी जेएनयू इकाई का अध्यक्ष बनाया.

उमेश चंद्र अजमीरा ने प्रेसिडेंशियल डिबेट में कहा कि इतना ही नहीं जब जेएनयू छात्रसंघ चुनाव होना तय हुआ तो उन्हे पैनल से अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाया गया. “मैं विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं की उम्मीद पर खरा उतरने का हर संभव प्रयास कर रहा हूं. साथ ही एबीवीपी द्वारा पिछले पांच वर्ष में किए गए सकारात्मक कार्यों को जेएनयू के हर एक छात्र तक लेकर पहुंचा.”

उन्होंने कहा कि जब पूरा विश्व कोविड महामारी से जूझ रहा था, तब जेएनयूएसयू की अध्यक्षा आईसी घोष बंगाल में चुनाव लड़कर जमानत जब्त करवा रही थीं. ऐसे समय में विद्यार्थी परिषद लोगों को राशन एवं जरूरी समान बांटने का काम कर रही थी. आज विश्वविद्यालय के इन्फ्रास्ट्रक्चर और हॉस्टल रेनोवेशन के लिए 58 करोड़ का जो फंड आवंटित हुआ है उसके लिए भी विद्यार्थी परिषद ने लंबा संघर्ष किया है.

वामियों की नाकामियों से जेएनयू के छात्र परेशान हैं. इस बार विद्यार्थी परिषद पूर्ण बहुमत से चारों सीटों को जीत रही है. जिस तरह 22 जनवरी को भगवान राम के भव्य राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के साथ संपूर्ण देश ने पांच सौ साल के संघर्ष के माध्यम से अन्याय पर विजय प्राप्त की, वैसे ही आने वाले 22 मार्च को जेएनयू के छात्र एबीवीपी के पूरे पैनल को अपना मत डालकर वामपंथ पर विजय प्राप्त करेंगे.

जीसीबी/एफजेड