भाजपा के विरोधी दलों की घोटालेबाजों से दोस्ती : सीपी सिंह

रांची, 22 अप्रैल . झारखंड और बिहार के विभिन्न जिलों में जमीन घोटाले के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) छापेमारी कर रहा है. ईडी की यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक अधिनियम (पीएमएलए) के तहत की गई है. जांच एजेंसी ने रांची, बोकारो, रामगढ़ सहित झारखंड और बिहार के कुल 16 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की. इस कार्रवाई पर पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक सीपी सिंह ने टिप्पणी की.

सीपी सिंह ने समाचार एजेंसी से बात करते हुए कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) एक केंद्रीय एजेंसी है. जब ईडी को कोई सुराग मिलता है या जानकारी प्राप्त होती है, तो वह छापेमारी करती है, संपत्ति जब्त करती है और दोषियों को जेल भेजने का काम करती है. लेकिन, दुर्भाग्य है कि भाजपा के विरोधी दल इस पर उंगली उठाते हैं. चाहे कितनी भी कार्रवाइयां की जाएं, विरोधी दल हमेशा सवाल खड़े करता है. आखिर इनका क्या मोह-माया है, उन लोगों से जो पकड़े जाते हैं? इससे साफ जाहिर होता है कि उनका उन लोगों के साथ गठजोड़ है और ऐसे घोटालों में उनका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हाथ है. यही वजह है कि जब भी ईडी, सीबीआई या आयकर विभाग कार्रवाई करता है, विरोधी दल तुरंत कूद पड़ते हैं. उन्हें इसमें बड़ा इंटरेस्ट मिलता है.

पश्चिम बंगाल की स्थिति का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि मुर्शिदाबाद से हिंदुओं का पलायन हो रहा है, वहां महिलाओं से अत्याचार की घटनाएं हुईं, पिता-पुत्र की हत्या कर दी गई, घर जलाए गए, दुकानें लूटी गईं, लेकिन विपक्ष के मुंह से एक शब्द नहीं निकला. ऐसी विपक्षी पार्टियों पर लानत है. ईडी अपना काम करती है, उसे करने दीजिए.

उन्होंने सवाल करते हुए आगे कहा कि क्या ईडी को मौजूदा केंद्र सरकार ने बनाया है? यह तो कांग्रेस के शासनकाल में ही अस्तित्व में आया था. सीबीआई भी उसी दौर में बनी थी. मेरा कहना है कि जब ये एजेंसियां कार्रवाई करती हैं, तो विपक्ष को मिर्ची लगने लगती है.

बता दें कि ईडी की ओर से यह कार्रवाई 103 एकड़ संरक्षित वन भूमि की अवैध खरीद-फरोख्त और धोखाधड़ी से अधिग्रहण करने के मामले में की जा रही है. जमीन की खरीद में फर्जी दस्तावेजों के इस्तेमाल और सरकारी नियमों की अनदेखी की बात भी सामने आई है.

पीएसके/एबीएम