नई दिल्ली, 18 अप्रैल . जोहो के संस्थापक श्रीधर वेम्बू ने शुक्रवार को कहा कि भारत की सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कंपनियों के खराब तिमाही नतीजों के लिए केवल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वजह नहीं हैं, बल्कि यह सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री के प्रोडक्ट और सर्विस में अकुशल रहने का भी नतीजा है.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में वेम्बू ने कहा, “माई ऑपरेटिंग थीसिस : हम जो देख रहे हैं, वह सिर्फ साइकलिक डाउनटर्न नहीं है और यह केवल एआई से जुड़ा नहीं है. टैरिफ से जुड़ी अनिश्चितता के बिना भी परेशानी मौजूद थी. व्यापक सॉफ्टवेयर उद्योग उत्पादों और सेवाओं दोनों में काफी अकुशल रहा है.”
वेम्बू ने कहा, “दुख की बात है कि हमने भारत में बहुत सी अक्षमताओं को स्वीकार कर लिया है. हमारी नौकरियां उन पर निर्भर हो गई हैं. आईटी इंडस्ट्री ने उन प्रतिभाओं को खत्म कर दिया है, जो मैन्युफैक्चरिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए बेहतर हो सकती थीं.”
उन्होंने आगे कहा, “हम अभी एक लंबी गणना के शुरुआती चरण में हैं. मेरा मानना है कि पिछले 30 साल अगले 30 सालों के लिए अच्छे मार्गदर्शक नहीं हैं. हम वास्तव में एक महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं. हमें अपनी धारणाओं को चुनौती देनी होगी और नए सिरे से सोचना होगा.”
भारतीय आईटी कंपनियों टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज लिमिटेड, इंफोसिस और विप्रो ने इस सप्ताह अपनी चौथी तिमाही और पूरे साल के वित्तीय नतीजों की घोषणा की और कमजोर दृष्टिकोण दिया, जिससे बाजार में निराशा फैल गई.
आईटी कंपनियां टैरिफ को लेकर फंसी हुई हैं, जिससे नए ऑर्डर और प्रोजेक्ट रैंप-अप में देरी हुई है.
भारत की शीर्ष आईटी कंपनियों में से एक इंफोसिस ने वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही के लिए अपने कंसोलिडेटेड शुद्ध लाभ में सालाना आधार पर 11.7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की है, जो पिछले साल की समान तिमाही के 7,969 करोड़ की तुलना में वित्त वर्ष 2025 में 7,033 करोड़ रुपये रहा.
हालांकि, इंफोसिस का राजस्व सालाना आधार पर लगभग 8 प्रतिशत बढ़कर 40,925 करोड़ रुपये हो गया, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 37,923 करोड़ रुपये था.
कंपनी ने 21 प्रतिशत का परिचालन मार्जिन दर्ज किया, जो पिछली तिमाही के 21.3 प्रतिशत मार्जिन से थोड़ा कम है, लेकिन एक साल पहले इसी तिमाही के 20.1 प्रतिशत से अधिक है.
–
एसकेटी/एबीएम