नई दिल्ली, 12 फरवरी . जीबीएस सिंड्रोम के मामले में लगातार सामने आ रहे हैं. अब तक कई लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं. इसे देखते हुए लोगों के जेहन में इसे लेकर कई तरह के सवाल आ रहे हैं. मसलन, यह क्या है? कैसे फैल रहा है? इसके शुरुआती लक्षण क्या है? इसके लक्षण देखे जाने पर मरीज को तुरंत क्या करना चाहिए?
इन्हीं सब सवालों को लेकर ने फोर्टिस अस्पताल के डॉ. कामेश्वर प्रसाद से खास बातचीत की. उन्होंने विस्तार से बताया कि आखिर यह क्या है? इससे कैसे बचा जाए? इसके शुरुआती लक्षण क्या हो सकते हैं?
डॉ. कामेश्वर प्रसाद बताते हैं कि जीबीएस का पूरा नाम ‘गिलियन-बैरे सिंड्रोम’ है. इसे सबसे पहले गिलियन-बैरे सिंड्रोम ने डिस्क्राइब किया था. यह प्रमुख रूप से हमारे हाथों और पैरों को प्रभावित करता है. नसों से ही हमारा चलना मुमकिन हो पाता है. चलने फिरने का संदेश ब्रेन से हाथ पैर में पहुंचता है, तभी हम चल फिर पाते हैं. लेकिन, जब यह डिस्कनेक्ट हो जाता है, तो हमारा चलना नामुमकिन हो जाता है. आप कह सकते हैं कि यह एक नसों की बीमारी है, जिसे नीरपैथी कहते हैं. इसका सबसे सामान्य लक्षण हाथों, पैरों मे कमजोरी है.
डॉ. प्रसाद आगे बताते हैं कि कभी-कभी इसकी चपेट में आने से व्यक्ति पैरालाइज भी हो जाता है. व्यक्ति बोल नहीं पाता है, यहां तक की खाना-पीना भी नहीं खा पाता है. कई बार सांस लेने में भी तकलीफ होती है. ऐसी स्थिति में मरीज को वेंटिलेटर पर डालना होता है. कभी-कभी मरीज वेंटिलेटर पर जाने के बाद भी ठीक नहीं हो पाता है, तो उसकी मौत हो जाती है . इस बीमारी के सबसे प्रमुख लक्षण हाथ और पैरों में कमजोरी आना है. यह सबसे पहले पैरों को प्रभावित करता है.
डॉ. ने बताया कि इस बीमारी के चपेट में आने के बाद मरीज को उठने बैठने में दिक्कत होती है. शुरुआती दौर में मरीज को बाथरूम में उठने बैठने में दिक्कत हो सकती है, लेकिन अगर वो कोशिश करे, तो उठ बैठ सकता है. लेकिन, धीरे-धीरे उसकी दिक्कतें बढ़ने लगती हैं. वहीं, इसकी चपेट में आने के बाद मरीज को कुछ दिनों बाद एहसास होता है कि वो बिना किसी के सहारे के नहीं उठ पाता. यहां तक की उसकी बॉडी का कोई भी अंग मूवमेंट करना बंद कर देता है. इसके बाद दो तीन दिन में मरीज व्हीलचेयर पर चला जाता है.
वो बताते हैं कि शुरुआती लक्षण दिखने पर मरीज को अस्पताल जाना चाहिए. अगर ऐसा व्यक्ति जिसे एक हफ्ते पहले बुखार या डायरिया हुआ है, तो उसे ऐसे लक्षण देखे जाने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. इस बीमारी के शुरुआती लक्षण उठने और बैठने में दिक्कत है.
डॉ. बताते हैं कि किसी भी आयु के मरीज इसकी चपेट में आ सकते हैं, लेकिन सबसे ज्यादा 15 से 30 साल और 50 से 70 साल के उम्र के लोग इस बीमारी की चपेट में आते हैं.
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