बर्थडे स्पेशल: ‘यूफोरिया’ वाले हड्डियों के डॉक्टर, जिनके ‘धूम पिचक’ ने मचा दी थी ‘धूम’

नई दिल्ली, 22 सितंबर . 90 के दशक का पसंदीदा इंडियन पॉप-रॉक स्टार था एक डॉक्टर! मरीजों का इलाज करने वाले इस डॉक्टर ने म्यूजिक लवर्स के दिलो दिमाग को भी बखूबी पढ़ा. इनके संगीत में रोमांस था, रोमांच था और रवानगी भी और ये थे ‘यूफोरिया’ के फाउंडर और लीड सिंगर पलाश सेन. इन्होंने ‘माई री’, ‘महफूज’, ‘धूम पिचक’ और कई हिट गाने दिए हैं, वे इंडी म्यूजिक लवर के बीच खासे लोकप्रिय रहे. लेकिन ये भी सच है कि बॉलीवुड की म्यूजिक इंडस्ट्री से इनका ‘छत्तीस का आंकड़ा रहा’.

सिंगर, सॉन्ग राइटर, कंपोजर, फिजिशियन, डायरेक्टर और एक्टर; लखनऊ में 23 सितंबर 1965 को जन्मे इस शख्सियत का ऑल इन वन कैरेक्टर उन्हें एक अलग पहचान दिलाता था. शुरुआत से ही वो पढ़ाई में तेज थे, साथ ही उनका खुशमिजाज और जिंदादिल अंदाज सबको पसंद आता था. स्कूल के बाद उन्होंने एमबीबीएस और ऑर्थोपेडिक्स में एमएस की पढ़ाई की. इस दौरान कॉलेज में ही हंसी-मजाक में एक बैंड बनाया ‘यूफोरिया’. इसका पहला गाना ‘धूम पिचक धूम’ रिलीज होते ही छा गया और यहां से शुरू हुआ उनका एक नया सफर.

इस बैंड ने कई गाने रिलीज किए जो लोगों को खूब पसंद आए. 1990 से लेकर 2005 तक उनका क्रेज शबाब पर था. लेकिन फिर वो धीरे-धीरे गुमनामी के अंधेरे में खो गए. बताया जाता है कि वो इंडस्ट्री की पॉलिटिक्स का शिकार हो गए, क्योंकि वो जी-हुजूरी नहीं करते थे.

23 सितंबर (सोमवार) को उनका 59वां जन्मदिन है. पेशे से वो अब भी गाने-बजाने के अलावा डॉक्टर हैं. मूल रूप से वाराणसी का रहने वाला सेन परिवार लखनऊ में बसा हुए था. इनके परिवार में लोग पीढ़ियों से डॉक्टर रहे. जब पलाश छोटे थे तो उनका परिवार दिल्ली शिफ्ट हो गया. डॉक्टरी के साथ-साथ परिवार का लगाव संगीत से भी हमेशा रहा. इसलिए पलाश को भी संगीत में रुचि आई और पढ़ाई के दौरान उन्होंने इसमें भी अपना हाथ आजमाया.

गाना गाकर उन्हें लड़कियों को इंप्रेस करना खूब पसंद था. वो अकसर अपना गिटार लेकर कॉलेज में परफॉर्म करते थे. इसी दौरान उन्होंने अपने कुछ दोस्तों के साथ एक बैंड बनाने की ठानी और 1988 में भारत के पहले हिंदी रॉक बैंड का आगाज हुआ. कॉलेज के साथ-साथ वो कुछ छोटे इवेंट में भी परफॉर्म करने लगे.

साल 1998 में आए उनके सॉन्ग ‘धूम पिचक धूम’ ने ऐसी धूम मचाई कि ये सबके चहेते इंडी पॉप स्टार हो गए. धीरे-धीरे उन्हें शोहरत और पहचान मिलती चली गई. ऐसे में एक टीवी चैनल ने उनका छोटा सा इंटरव्यू टेलीकास्ट किया. आगे चलकर ‘यूफोरिया’ ने अपना पहला म्यूजिक एल्बम ‘धूम’ लॉन्च किया. इस एल्बम की सफलता आसमान छूने लगी और 10 साल की कड़ी मेहनत का फल ‘यूफोरिया’ को आखिरकार मिला.

उस दौर के युवाओं में ‘यूफोरिया’ का क्रेज गजब का था. पलाश अपने फन से लोगों का दिल जीत रहे थे. टीवी हो, रेडियो हो या कैसेट और सीडी हर जगह पलाश छाए हुए थे. देखते ही देखते यूफोरिया भारत का सबसे लोकप्रिय और नंबर-1 बैंड बन गया.

लोकप्रियता अपने चरम पर थी ऐसे में आत्मविश्वास से लबरेज पलाश ने एक्टिंग में भी अपनी किस्मत आजमाई. साल 2002 में रिलीज हुई फिल्म में वो एक्टिंग करते नजर आए. इसके बाद उन्होंने अलग-अलग भाषाओं में एक्टिंग की और कई फिल्म में काम किया, लेकिन उन्हें यहां कामयाबी नहीं मिली. इसके बाद 2017 में पलाश ने सबको चौंकाते हुए डायरेक्शन में भी हाथ आजमाया.

‘जिया जले’ नामक शॉर्ट फिल्म को उन्होंने डायरेक्ट किया. हालांकि, यह फिल्म कॉपीराइट के चलते विवादों में रही. पलाश खुद भी कई दफा विवादों में फंस चुके हैं. लेकिन इन तमाम खबरों के बीच फैंस आज भी उनके सॉन्ग सुनना और गुनगुनाना पसंद करते हैं.

एएमजे/केआर