कैदियों की अस्वाभाविक मौत पर परिजनों को 7.5 लाख का मुआवजा दिलाएगी दिल्ली सरकार, प्रस्ताव एलजी को भेजा

नई दिल्ली, 6 सितंबर . दिल्ली सरकार ने फैसला लिया है कि जेलों में बंद कैदियों की अस्वाभाविक मौत होने पर उनके परिजनों को 7.5 लाख का मुआवजा दिया जाएगा और यह रकम दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों से वसूली जाएगी. इस फैसले को मंजूरी के लिए दिल्ली सरकार ने उपराज्यपाल को प्रस्ताव भेजा है.

दिल्ली सरकार के मुताबिक, मानवाधिकारों के आदर्शों को मजबूती प्रदान करने के लिए दिल्ली की जेलों में अप्राकृतिक कारणों से मरने वाले कैदियों के परिजनों या उनके कानूनी वारिसों को 7.5 लाख रुपये का मुआवजा देने के निर्णय को मंजूरी दे गई है. दिल्ली सरकार ने इस संबंध में उपराज्यपाल को उनकी मंजूरी के लिए एक प्रस्ताव भेजा है. जेल में कैदियों के बीच झगड़े, जेल कर्मचारियों द्वारा पिटाई, यातना, जेल अधिकारियों द्वारा लापरवाही, या चिकित्सा या पैरामेडिकल अधिकारियों द्वारा लापरवाही के कारण अप्राकृतिक मौत के मामलों में यह मुआवजा दिया जाएगा.

सरकार के मुताबिक आत्महत्या के कारण अप्राकृतिक मृत्यु, जेल से भागने के प्रयास या जेल के बाहर वैध हिरासत से या प्राकृतिक मृत्यु, आपदा या आपदा के मामलों में मुआवजा स्वीकार्य नहीं होगा. इसके अलावा यह बीमारी से होने वाली मौतों पर भी लागू नहीं होगा.

दिल्ली के गृह मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा, “यह पहल जेल प्रणाली के भीतर न्याय और जवाबदेही सुनिश्चित करने की हमारी प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है. जेल में अस्वाभाविक परिस्थितियों में मृत्यु होने पर कैदियों के परिवारों को मुआवजा प्रदान करना मानवाधिकारों के स्तंभों को मजबूत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में, दिल्ली सरकार को विश्वास है कि इस कदम से हमारी जेलों में सुधार होगा और किसी भी तरह की लापरवाही में कमी आएगी. एक बार मंजूरी मिलने के बाद, नीति अधिसूचना की तारीख से प्रभावी होगी.”

दिल्ली सरकार के मुताबिक इस सिलसिले में संबंधित जेल अधीक्षक को एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी, जिसमें मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट की एक प्रति, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट, मृत्यु का अंतिम कारण, जेल में प्रवेश के समय चिकित्सा इतिहास और मौत से पहले प्रदान किए गए किसी भी चिकित्सा उपचार का विवरण शामिल होगा. यह रिपोर्ट सूचना के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को प्रस्तुत करने के लिए जेल महानिदेशक, दिल्ली को भेजी जाएगी. जेल महानिदेशक की अध्यक्षता में एक समिति जिसमें दिल्ली जेल के अतिरिक्त महानिरीक्षक, रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर, डीसीए और लॉ ऑफिसर होंगे, वो रिपोर्ट की समीक्षा करेंगे और नियमों के अनुसार मुआवजा जारी करने पर निर्णय लेंगे.

प्रस्ताव में समिति को हर तिमाही या आवश्यकतानुसार एक बार बैठक कर हिरासत में मौत के मामलों पर विचार करना आवश्यक है. मृतक के परिजनों को मुआवजा दे दिए जाने पर जेल महानिदेशक को एनएचआरसी को सूचित करना होगा.

इस नीति में दोषी जेल अधिकारियों के वेतन से मुआवजे की राशि की वसूली का भी प्रावधान है. इसके लिए समिति को जांच करनी होगी और यदि हिरासत में मौत में किसी जेल कर्मचारी की सीधी संलिप्तता पायी जाती है, तो समिति दोषी अधिकारी के वेतन से मुआवजा राशि की वसूली का आदेश, जैसा उचित समझती हो उस तरीके से दे सकती है.

पीकेटी/एएस