ह्यूमन पेपिलोमावायरस संक्रमण से पुरुषों में हो सकती है नपुंसकता : शोध

नई दिल्ली, 23 अगस्त . एक शोध में यह बात सामने आई है कि ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) से पीड़ित पुरुषों में शुक्राणु की मात्रा के साथ उसकी गुणवत्ता में भी कमी आ सकती है, जिससे नपुंसकता हो सकती है.

अर्जेंटीना में यूनिवर्सिडाड नेशनल डी कॉर्डोबा के शोधकर्ताओं ने कहा कि पुरुष एचपीवी संक्रमण के प्रति बहुत संवेदनशील होते हैं और उनमें जननांग मस्से और मुंह, गले, लिंग और गुदा के घातक रोगों के बढ़ने जैसी बड़ी समस्याएं होती हैं.

लेकिन सबसे बड़ी समस्या नपुंसकता है.

फ्रंटियर्स इन सेलुलर एंड इंफेक्शन माइक्रोबायोलॉजी नामक पत्रिका में प्रकाशित शोध से पता चला है कि उच्च जोखिम वाले एचपीवी जीनोटाइप से संक्रमित पुरुषों में ऑक्सीडेटिव तनाव और खराब प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के कारण शुक्राणु खत्म होने के प्रमाण मिलते हैं.

विश्वविद्यालय में प्रोफेसर डॉ. वर्जीनिया रिवेरो ने कहा, ”शोध से पता चला है कि एचपीवी संक्रमण पुरुषों में बहुत आम है, और संक्रमण पैदा करने वाले वायरल जीनोटाइप के आधार पर शुक्राणु की गुणवत्ता पर इसका प्रभाव अलग-अलग हो सकता है.”

रिवेरो ने कहा, ”पुरुष प्रजनन क्षमता और संक्रमण से लड़ने की प्रतिरक्षा प्रणाली की क्षमता उच्च जोखिम वाले एचपीवी जीनोटाइप संक्रमणों से अधिक नकारात्मक रूप से प्रभावित होती है.”

वहीं एचपीवी संक्रमण महिलाओं में सबसे आम था, जिससे 95 प्रतिशत मामलों में सर्वाइकल कैंसर का खतरा बना रहता है.

द लांसेट पत्रिका में हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि 15 वर्ष से अधिक आयु के 3 में से 1 पुरुष कम से कम आंशिक रूप से एचपीवी से संक्रमित हैं. वहीं 5 में से 1 पुरुष उच्च जोखिम वाले या ऑनकोजेनिक एचपीवी स्ट्रेन से कुछ हद तक संक्रमित हैं.

नवीनतम अध्ययन अर्जेंटीना में 205 वयस्क पुरुषों पर किया गया, जो 2018 और 2021 के बीच प्रजनन स्वास्थ्य या यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन की समस्याओं से संबंधित मूल्यांकन के लिए एक यूरोलॉजी क्लिनिक गए थे.

किसी को भी एचपीवी का टीका नहीं लगाया गया था. उन्नीस प्रतिशत व्यक्ति एचपीवी पॉजिटिव पाए गए, जिनमें से बीस पुरुषों में उच्च जोखिम वाला एचपीवी और सात प्रतिशत में कम जोखिम वाला एचपीवी पाया गया.

नियमित वीर्य विश्लेषण के अनुसार, समूह के वीर्य की गुणवत्ता में कोई स्पष्ट अंतर नहीं था. फिर भी अतिरिक्त उच्च रिज़ॉल्यूशन परीक्षण में दिखाया गया कि जो पुरुष एचआर-एचपीवी पॉजिटिव थे, उनके वीर्य में सीडी45+ श्वेत रक्त कोशिका की संख्या काफी कम थी.

रिवेरो ने कहा, ”हमने निष्कर्ष निकाला कि एचआर-एचपीवी से संक्रमित पुरुषों में ऑक्सीडेटिव तनाव के कारण शुक्राणु गिरने की दर में वृद्धि हुई है और यूरिनरी ट्रैक्ट में इम्यून रिस्पांस कमजोर हो गया, जिससे पता चलता है कि एचआर-एचपीवी पॉजिटिव पुरुषों में प्रजनन क्षमता खराब हो सकती है.”

अध्ययन इस बारे में अहम सवाल उठाता है कि एचआर-एचपीवी शुक्राणु डीएनए की गुणवत्ता को कैसे प्रभावित करता है और प्रजनन और संतान के स्वास्थ्य पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है.

एमकेएस/