नई दिल्ली, 2 जुलाई . क्या आप भी पानी पुरी खाने के शौकीन हैं, तो सावधान हो जाइए. विशेषज्ञों ने चेतावनी देते हुए कहा कि आर्टिफिशियल रंगों से भरी पानी पुरी खाने से कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के अलावा कैंसर और अस्थमा का खतरा बढ़ सकता है.
कई शिकायतों के आधार पर कर्नाटक में खाद्य सुरक्षा अधिकारियों ने सड़क किनारे स्टालों से लगभग 260 नमूने एकत्र किए. इनमें से 22 प्रतिशत पानी पुरी गुणवत्ता परीक्षण में खरी नहीं उतर पाई. लगभग 41 नमूनों में आर्टिफिशियल रंगों के साथ कैंसर पैदा करने वाले एजेंट शामिल थे. वहीं, 18 नमूने बासी (खाने लायक नहीं) थे.
जून के अंत में कर्नाटक के खाद्य सुरक्षा और मानक विभाग ने राज्य भर में चिकन कबाब, मछली और सब्जियों के व्यंजनों में आर्टिफिशियल रंगों का उपयोग करने पर 10 लाख रुपये तक का जुर्माना और सात साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का आदेश पारित किया था.
मार्च में गोभी मंचूरियन और कॉटन कैंडी में इस्तेमाल होने वाले आर्टिफिशियल रंग एजेंट रोडामाइन-बी के उपयोग पर कर्नाटक में प्रतिबंध लगा दिया गया था.
बेंगलुरु के क्लिनिकल न्यूट्रिशन एंड डायटेटिक्स एस्टर सीएमआई हॉस्पिटल में हेड ऑफ सर्विसेज एडविना राज ने को बताया, ”व्यंजन को अधिक आकर्षक बनाने और स्वादिष्टता बढ़ाने के लिए आर्टिफिशियल रंगों का उपयोग किया जाता है, जो विभिन्न स्वास्थ्य जोखिमों का कारण बनते हैं. खासकर उन लोगों में जो अक्सर विदेशी भोजन का सेवन करते हैं.”
उन्होंने कहा, “भोजन में ऐसे सिंथेटिक तत्वों के अत्यधिक संपर्क से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है और सूजन बढ़ने से पेट का स्वास्थ्य खराब हो जाता है.”
विशेषज्ञ ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप बच्चों में अतिसक्रियता, एलर्जी के लक्षण और दमा के दौरे भी पड़ सकते हैं. इसके अलावा, अगर पानी पुरी में इस्तेमाल किया गया पानी दूषित है तो इससे टाइफाइड जैसी खाद्य जनित बीमारियां भी हो सकती हैं.
लोगों को लुभाने के लिए दुकानदार इसमें आर्टिफिशियल रंगों का उपयोग करते हैं. जिससे इसके स्वाद को बढ़ाया जाता है. खाद्य पदार्थों में सनसेट येलो, कार्मोइसिन और रोडामाइन-बी जैसे रंगों का उपयोग कई स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है.
एडविना ने कहा कि आर्टिफिशियल रंगों के बजाय कोई भी ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन कर सकता है, जो “चुकंदर, हल्दी, केसर के धागों आदि का उपयोग करके प्राकृतिक रंग और स्वाद” से बनाए गए हो.
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एमकेएस/एबीएम