नई दिल्ली, 12 अप्रैल . रक्षा मंत्रालय ने स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस एमके 1ए की खरीद के लिए टेंडर जारी किया है. इन विमानों का निर्माण हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा भारतीय वायुसेना के लिए किया जाएगा. ऐसे 97 हल्के लड़ाकू विमानों की खरीद की जानी है.
इसकी अनुमानित लागत लगभग 67 हजार करोड़ रुपए है. लगभग चार महीने पहले रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद के तेजस एमके 1ए लड़ाकू विमानों की खरीद के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी. अब इसके टेंडर को स्वीकृति प्रदान की गई है.
करीब तीन साल पहले भी भारतीय वायुसेना ने फरवरी 2021 में 48 हजार करोड़ रुपये में 83 एमके 1ए लड़ाकू विमानों का ऑर्डर दिया था. कुछ दिनों पहले 28 मार्च को पहले तेजस एमके 1ए विमान ने बेंगलुरु में एचएएल की से अपनी पहली उड़ान भरी थी. यह सभी 83 लड़ाकू विमान 2028 तक वायुसेना में शामिल किए जाने की उम्मीद है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में 30 नवंबर 2023 को रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने 2.23 लाख करोड़ रुपये की राशि के विभिन्न पूंजीगत अधिग्रहण प्रस्तावों के लिए आवश्यकता की स्वीकृति (एओएन) के संबंध में अपनी मंजूरी दी थी. इन प्रस्तावो में 2.20 लाख करोड़ रुपये (कुल एओएन राशि का 98 प्रतिशत) की राशि घरेलू उद्योगों से जुटाई जाएगी. इससे ‘आत्मनिर्भरता’ के लक्ष्य हासिल करने की दिशा में भारतीय रक्षा उद्योग को काफी बढ़ावा मिलेगा.
डीएसी ने भारतीय वायु सेना और भारतीय सेना के लिए लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (एलसीएच) और हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) से आईएएफ के लिए लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) एमके 1ए की खरीद के लिए (इंडियन-आईडीडीएम) के तहत एओएन प्रदान किया था. एचएएल से स्वदेशी तौर पर सुखोई-30 एमकेआई विमान के उन्नयन के लिए भी डीएसी ने एओएन प्रदान किया है.
जहां इन उपकरणों की खरीद से भारतीय वायुसेना को भारी ताकत मिलेगी, वहीं घरेलू रक्षा उद्योगों की क्षमता भी इस अधिग्रहण से नई ऊंचाई पर पहुंचेगी. इससे विदेशी मूल के उपकरण निर्माताओं (ओईएम) पर निर्भरता भी काफी सीमा तक कम हो जाएगी.
इसके अलावा, स्वदेशीकरण को अधिकतम करने के लिए, डीएसी ने रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (डीएपी) 2020 में एक बड़े संशोधन को अपनी मंजूरी दे दी है. यह निर्णय लिया गया है कि अब से, खरीद के मामलों की सभी श्रेणियों में, न्यूनतम 50 प्रतिशत खरीदारी सामग्री, घटक और सॉफ्टवेयर के रूप में स्वदेशी घटक की होगी जो भारत में निर्मित होंगे.
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जीसीबी/एकेजे