नई दिल्ली, 10 अप्रैल . कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने ईडी और भाजपा के बीच सांठगांठ के आरोप लगाए हैं. उन्होंने बताया है कि ईडी ने छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले की काल्पनिक और सनसनीखेज कहानी लिखी थी और सुप्रीम कोर्ट ने उसका सच उजागर कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने बीते शुक्रवार को ईडी का पूरा मामला खारिज करते हुए कहा था कि इस मामले में न तो कोई पूर्व नियोजित अपराध है, न ही अपराध से अर्जित आय को जोड़ने वाली कड़ियां हैं. इसलिए मनी लॉन्ड्रिंग हुआ ही नहीं है. ईडी ने आयकर के छापों को आधार बनाया था और कोर्ट ने इसे आधार मानने से इनकार कर दिया है.
अभिषेक मनु सिंघवी ने आरोप लगाते हुए कहा कि कोर्ट के इस फैसले ने एक बार फिर से केंद्र सरकार और उसकी कठपुतली बनी ईडी की कुत्सित राजनीतिक मंशाओं को उजागर कर दिया है. एक बार फिर साबित हुआ है कि कांग्रेस की सरकार और कांग्रेस के नेताओं को बदनाम करने के लिए कथित घोटाले की काल्पनिक कथा बुनी गई थी. 70 से अधिक लोगों के ख़िलाफ दर्ज मामले, सैकड़ों गवाहियां और ढेरों गिरफ़्तारियां सब एक राजनीतिक षड्यंत्र साबित हुई हैं.
उन्होंने कहा कि जो लोग इस मामले को नहीं जान रहे, उनके लिए बताना जरूरी है कि पहले आयकर विभाग ने शराब कारोबारियों के यहां ताबड़तोड़ छापेमारी की. इस छापेमारी को आधार बनाकर ईडी ने शराब के कथित घोटाले का मामला दर्ज कर लिया. नवंबर, 2023 में छत्तीसगढ़ में चुनाव होने थे. ईडी ने भाजपा को एक मुद्दा दिया था. जांच के बाद ईडी ने विशेष अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया. इस आरोपपत्र में कहा गया कि 2019 से 2023 के बीच प्रदेश के तीन शराब निर्माताओं ने करीब 800 करोड़ की रिश्वत दी और 1,200 से अधिक की कर चोरी की.
उन्होंने आगे बताया कि ईडी के अनुसार, तीन शराब निर्माताओं, होलोग्राम सप्लायर, फ़ील्ड के आबकारी अधिकारियों और प्लेसमेंट कंपनियों के कर्मचारियों ने मिलकर कथित घोटाला किया. ईडी ने कुल मिलाकर 2,161 करोड़ रुपए के शराब घोटाले की कथा बुनी थी. कथा बुनने के लिए लोगों को ईडी के दफ़्तरों में बुलाकर घंटों पूछताछ की गई. यहां तक कि नियम विरुद्ध रात-रात भर पूछताछ जारी रही. जिनको पूछताछ के लिए बुलाया गया, उनको तरह-तरह से प्रताड़ित किया गया, मारपीट की गई और दबाव बनाया गया कि वे जैसा चाहते हैं, वैसे बयान लिखकर दे दिए जाएं.
उन्होंने कहा कि प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इन आरोपों को चुनौती देते रहे और बार-बार कहा कि ये आरोप भाजपा की केंद्र सरकार के इशारे पर कांग्रेस को बदनाम करने की साजिश हैं. सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने भूपेश बघेल के इस आरोप को सही साबित किया है. यदि कोई घोटाला हुआ तो ईडी ने इतनी लंबी जांच में धन-शोधन का कोई सबूत क्यों नहीं जुटाया?
सिंघवी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट से मामला खारिज होने के बाद ईडी ने नए सिरे से फिर मामला दर्ज कर लिया है. इस बार ईडी ने पूर्व निर्धारित अपराध के रूप में ईओडब्ल्यू की ओर से दर्ज मामले को आधार बनाया है. सवाल यह है कि यदि ईडी के निर्देश पर ही ईओडब्ल्यू ने मामला दर्ज किया था और ईडी का सारा केस ही सुप्रीम कोर्ट में धराशायी हो गया है तो उसी मामले को पूर्व नियोजित अपराध कैसे माना जा सकता है. चूंकि लोकसभा के चुनाव चल रहे हैं, इसलिए ईडी फिर से भाजपा के सहयोग के लिए सामने आ गई है.
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पीकेटी/एबीएम