नई दिल्ली, 21 मार्च . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा से ही तकनीक के क्षेत्र में कुछ अलग, बेहतर और नया करने की कोशिश करते रहते हैं और इसके लिए लोगों को भी प्रेरित करते रहते हैं.
पीएम मोदी के इसी विजन को ऐसे समझा जा सकता है कि उन्होंने 2014 में केंद्र की सत्ता में आने के बाद से स्किल इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया और साथ ही नई तकनीक के आयामों को जोड़ने वाली कई योजनाओं की शुरुआत की.
नरेंद्र मोदी किसी भी मंच पर हों, युवाओं से हमेशा तकनीक को बेहतर करने के लिए जुड़ने का आह्वान करते रहते हैं. ऐसे में तकनीक के प्रति उनका नजरिया कैसा है, यह आप आरएसएस से जुड़े अमृत पटेल की बातों से अंदाजा लगा सकते हैं. अमृत पटेल का यह वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के मोदी स्टोरी अकाउंट से शेयर किया गया है.
इस वीडियो में अमृत पटेल बता रहे हैं कि कैसे नरेंद्र मोदी 1978 में भी तकनीक को अपनाने के प्रति सजग और सहज थे. वीडियो में अमृत पटेल कहते हैं कि मेरा जो एरिया बापू नगर है, वहां पर एक लाल बहादुर शास्त्री स्टेडियम है. वहां आरएसएस का विंटर कैंप आयोजित किया गया था. उस इलाके का मैं इंचार्ज था, इसलिए मेरे ऊपर कार्यक्रम को सफल बनाने का काफी दायित्व भी था. ऐसे में मैंने पहली बार देखा कि संघ की शिविर के लिए टेंट लग चुके थे. शिविर शुरू होने में करीब दो-तीन दिन की देरी थी. उस जमाने में टेलीफोन कहीं नहीं थे. उस जमाने में किसी के घर में भी टेलीफोन नहीं होता था. मुझे फोन करने के लिए मेरे इलाके के पोस्ट ऑफिस में जाना पड़ता था.
अमृत पटेल ने आगे बताया कि तब मैंने शिविर में देखा कि नरेंद्र मोदी कुछ लोगों के साथ टेलीफोन का सारा कनेक्शन लेकर ग्राउंड फ्लोर पर पहुंचे हुए थे. वहां पर टेलीफोन लाइन का कनेक्शन आने वाला था. लेकिन, नरेंद्र मोदी ने एक टेलीफोन कनेक्शन के बारे में नहीं सोचा था, बल्कि शिविर कैंप के सभी कक्षों में कैसे टेलीफोन लगाया जाए. इसके बारे में उन्होंने सोचा हुआ था.
उन्होंने बताया कि उसके पहले ऐसा कहीं नहीं देखा था, यहां तक की किसी शिविर में भी नहीं देखा था, जहां इस तरह से टेलीफोन की व्यवस्था की गई हो. उस शिविर में अलग-अलग टेंट लगे हुए थे, जिसमें किचन, डाइनिंग हॉल, मीटिंग रूम था. इसके अलावा एक बौद्धिक वर्ग के कक्ष के साथ-साथ मेडिकल रूम भी था. उन सभी कक्षों के लिए मेन टेलीफोन लाइन से एक्सटेंशन खींची गई थी. ऐसा नरेंद्र मोदी ने उस वक्त सोचा था और उन्होंने उसे पूरा भी किया था. मैंने ऐसा पहले कहीं नहीं देखा था. खासकर संघ की व्यवस्था में तो ऐसा बिल्कुल नहीं देखा था.
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एसके/एबीएम