लखनऊ, 20 फरवरी . लोकसभा चुनाव में सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस और सपा के बीच तनातनी जारी है. फॉर्मूला तय न होने के कारण अखिलेश राहुल की यात्रा में शामिल होंगे या नहीं, इस पर सस्पेंस बरकरार है.
राजनीतिक जानकर बताते हैं कि लोकसभा चुनाव के लिए बने गठबंधन में सीट शेयरिंग का मामला उलझा हुआ है. आपसी सहमति न बन पाने के कारण विपक्ष को सत्ता पक्ष का मुकाबला करने के बजाए अपनों से ही जूझना पड़ रहा है. जहां सत्ताधारी दल ने अपने पहले चरण का प्रचार खत्म कर दिया है. ऐसे में गठबंधन के लोगों को आपस में जूझना पड़ रहा है. हालांकि सपा ने 27 उम्मीदवार उतारकर अपनी तैयारी बतानी शुरू कर दी है.
राजनीतिक विश्लेषक प्रसून पांडेय कहते हैं कि सपा और कांग्रेस के बीच अभी तक सीट शेयरिंग पर फाइनल सहमति नहीं बन सकी है. इसका असर दोनों दलों के रिश्तों और राहुल गांधी की यात्रा पर पड़ता नजर आ रहा है. कुछ सीटों को लेकर दोनो दलों की सहमति नहीं बन पा रही है. अखिलेश यादव ने एक दिन पहले ही दो टूक कह दिया था कि अगर कांग्रेस के साथ गठबंधन फाइनल नहीं हुआ तो वह राहुल गांधी के यात्रा में शामिल नहीं होंगे.
कांग्रेस के प्रवक्ता अंशू अवस्थी कहते हैं कि देश के करोड़ों बेरोजगार युवाओं, पीड़ित किसानों, शोषित दलितों, पिछड़ों, महिलाओं और अल्पसंख्यकों की मंशा के अनुरूप कांग्रेस पार्टी ने एक मजबूत विपक्ष के विकल्प के लिए इंडिया गठबंधन में सभी समान विचारधारा के राजनीतिक दलों को जोड़ने की पहल की और सफल हुए अब उस गठबंधन को मजबूत करने की जिम्मेदारी अन्य दूसरे राजनीतिक दलों की भी है. मीडिया में बयानबाजी और न्यूज चैनलों की डिबेट से सीटें तय नहीं होती.
उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी और उनके नेताओं से कांग्रेस उम्मीद करती है. यदि बिना संज्ञान सीटों की घोषणा होगी तो इंडिया गठबंधन कैसे मजबूत होगा. कांग्रेस ने 2009 में 22 लोकसभा सीट जीती और 15 से ज्यादा में उपविजेता रही, लेकिन हम गठबंधन धर्म का आदर कर रहे हैं, सपा भी अपनी नैतिक जिम्मेदारी निभाए.
सपा के प्रवक्ता मनोज काका कहते हैं कि सीट शेयरिंग और यात्रा में जाने के निर्णय राष्ट्रीय अध्यक्ष ही ले रहे हैं. उनके द्वारा कही गई बात आज भी लागू है.
—
विकेटी/