भोजन को बार-बार गर्म करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक, क्या कहता है आयुर्वेद?

New Delhi, 26 नवंबर . कभी ज्यादा काम या फिर खराब दिनचर्या की वजह से कई बार समय पर खाना-पीना कुछ नहीं हो पाता है. ऐसे में सुबह का भोजन शाम और शाम का रात को गर्म करके खाना पड़ता है, लेकिन आयुर्वेद में भोजन को बार-बार गर्म करना हानिकारक माना गया है.

कई लोगों में आदत होती है कि वे ठंडा खाना नहीं खा पाते हैं. सर्दियों में अमूमन भोजन को बार-बार गर्म करना पड़ता है, ऐसे में भोजन में मौजूद पौषक तत्व खत्म हो जाते हैं.

आयुर्वेद कहता है कि भोजन का सबसे बड़ा गुण तात्कालिकता है, मतलब ताजा भोजन ग्रहण करना. जब भोजन को बार-बार गर्म किया जाता है तो भोजन का स्वाद, रस, ऊर्जा और ऊष्मा बदल जाती है. ऐसे भोजन को पचाने में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. जठराग्नि उसे ठीक प्रकार से पचा नहीं पाती और परिणाम होता है भारीपन, गैस, आलस्य, अपच और थकान. बार-बार गर्म किया भोजन मन और तन दोनों पर प्रभाव डालता है. ऐसा भोजन करने से शरीर में जड़ता आती है, कोशिकाओं को कम पोषण मिलता है और बालों और स्किन से चमक गायब हो जाती है.

अगर लंबे समय तक ऐसा ही भोजन किया जाए तो ये शरीर में बीमारियों को पनपने का वातावरण देने लगता है. कुल मिलाकर दोबारा गर्म किया भोजन प्राणहीन हो जाता है. अगर भोजन को दोबारा गर्म करना ही है, तो इसके कुछ व्यावहारिक समाधान हो सकते हैं. इसके लिए जितना खाना एक समय पर खाना है, उतना ही बनाएं.

दूसरा, अगर खाने को दोबारा गर्म करना है तो धीमी आंच पर भोजन को गुनगुना करें. अगर दाल या सब्जी को गर्म करना है तो उसमें थोड़ा गर्म पानी मिलाया जा सकता है, हालांकि कुछ चीजों को दोबारा गर्म करने से बिल्कुल ही परहेज करना चाहिए.

आयुर्वेद कहता है कि पालक, मेथी, चुकंदर, चावल, अंडा, मांस, और तली हुई चीजों को एक बार हल्की आंच पर गर्म किया जा सकता है, लेकिन दाल, रोटी, बिना पत्तेदार सब्जी और खिचड़ी को गर्म करने से बचें.

ध्यान रखने वाली बात ये भी है कि रात का बना खाना कभी सुबह नहीं खाना चाहिए, क्योंकि भोजन में ऊर्जात्मक गुण 6 घंटों तक ही रह पाते हैं.

पीएस/वीसी