![]()
New Delhi, 23 नवंबर . अक्टूबर 2025 के अंत में मियामी के एक होटल में हुई एक गोपनीय बैठक ने अमेरिकी विदेश नीति और यूक्रेन युद्ध को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. इस बैठक में रूस के शीर्ष निवेश कोष ‘रशियन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट फंड’ के प्रमुख किरिल दिमित्रिव शामिल थे. ऐसा कुछ रिपोर्ट्स दावा करती हैं.
वही दिमित्रिव जिन पर अमेरिका ने फरवरी 2022 में रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए थे. 2022 में यूक्रेन पर रूस के बड़े पैमाने पर हमले के बाद अमेरिकी Government ने दिमित्रीव और उनके फंड को ब्लैकलिस्ट कर दिया था. ये बैन असल में अमेरिकी नागरिकों और कंपनियों को उनके साथ डील करने से रोकते हैं.
फिर भी उन्हें अमेरिका में प्रवेश के लिए विशेष अनुमति दी गई, और यह बात समाचारों में उजागर होने के बाद विवाद तेज हो गया. रॉयटर्स ने अमेरिकी अधिकारी के हवाले से इसे रिपोर्ट किया है. बैठक में स्टीव विटकॉफ, ट्रंप के दामाद जेरेड कुशनर और दिमित्रीव शामिल थे.
दिमित्रिव की पहचान रूस के उन प्रभावशाली व्यवसायिक और Political चेहरों में होती है जो क्रेमलिन के बेहद करीबी माने जाते हैं. अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद भी उनकी मौजूदगी न केवल आश्चर्य का विषय बनी बल्कि यह बताती है कि रूस-अमेरिका के बीच युद्ध और प्रतिबंधों की परतों में भी पर्दे के पीछे संवाद के रास्ते खुले हुए हैं.
पुतिन के करीबी माने जाने वाले दिमित्रिव ने अमेरिका पहुंचने की जानकारी अपने एक्स पोस्ट पर दी थी. 24 अक्टूबर की पोस्ट में कहा, “अमेरिका-रूस बातचीत जारी रखने के लिए अमेरिका पहुंचा हूं. अमेरिका की तरफ से न्योता मिला. फिर कुछ समय पहले इस दौरे का प्लान बनाया गया था. ऐसी बातचीत दुनिया के लिए बहुत जरूरी है और इसे रूस की स्थिति को पूरी तरह समझते हुए और उसके राष्ट्रीय हितों का सम्मान करते हुए जारी रखना चाहिए.”
इस मुलाकात की सबसे खास बात यह रही कि इसी के बाद यूक्रेन-रूस युद्ध खत्म करने के लिए एक 28-बिंदुओं वाला शांति प्रस्ताव तैयार किया गया, जिसे लेकर पश्चिमी देशों और खुद यूक्रेन ने गंभीर आपत्तियां जताई हैं. उनका कहना है कि यह प्लान यूक्रेन से अपनी भूमि छोड़ने, सैन्य क्षमता सीमित करने, और नाटो से दूर रहने जैसी मांगें करता है. यह ऐसा है जो रूस की इच्छा-सूची जैसा है, न कि यूक्रेन के हितों के अनुरूप.
किरिल दिमित्रिव कौन हैं, यह सवाल अब अंतरराष्ट्रीय बहस का केंद्र है. प्रतिबंधित होने के बावजूद उनका अमेरिका पहुंचना इस बात का संकेत देता है कि वैश्विक राजनीति में प्रभावशाली व्यक्तियों की पहुंच सीमाओं और नियमों से कहीं आगे तक जाती है.
–
केआर/