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New Delhi, 21 नवंबर . शीत ऋतु आते ही शरीर में अकड़न, मांसपेशियों में खिंचाव, जोड़ों में दर्द, सर्दी-जुखाम और कफ और वात से जुड़ी परेशानियां शुरू हो जाती हैं.
शीत ऋतु और मानसून के महीने में सबसे ज्यादा हड्डियों और जोड़ों में दर्द की समस्या देखी जाती है. ऐसे में महानारायण तेल इन सभी परेशानियों की एक दवा है, जिसकी मालिश से हड्डियों और मांसपेशियों को बहुत आराम मिलता है.
आयुर्वेद में माना गया है कि जब शरीर में कफ और वात दोनों ही बढ़ने लगते हैं, तो हड्डियों और मांसपेशियों से जुड़े रोग परेशान करने लगते हैं. ऐसे में हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और दर्द के साथ जोड़ों से चटकने की आवाज भी आने लगती है. ऐसे में महानारायण तेल हड्डी, त्वचा और लिगामेंट का खास ख्याल रखता है और जोड़ों को मजबूत भी करता है.
महानारायण तेल का वर्णन अष्टांग हृदय और चरक संहिता में भी किया गया है. इस तेल को बनाने में 50 से अधिक जड़ी बूटियों का इस्तेमाल होता है, लेकिन कुछ मुख्य जड़ी बूटियों का इस्तेमाल करके घर पर भी इस तेल को बनाया जा सकता है.
इसमें जैतून के तेल या तिल के तेल का इस्तेमाल होता है और फिर इसमें हल्दी, कपूर, अश्वगंधा, दशमूल, हरीतकी, आंवला, बिभीतकी, दूर्वा, मंजिष्ठा, आंक के फूल और शतावरी जड़ी-बूटियां डालकर पकाया जाता है. बाजार में ये तेल बना बनाया भी मिलता है. जोड़ों के दर्द और घुटनों की सूजन होने पर तेल को हल्का गुनगुना करके रोजाना 10 मिनट मालिश करने से आराम मिलेगा. इससे शरीर में रक्त संचार बढ़ेगा, सूजन में कमी होगी और दर्द से भी आराम मिलेगा.
इसके अलावा, अगर त्वचा में खुजली और रूखापन रहता है, तो भी इस तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है. नहाने से पहले इस तेल से पूरे शरीर की मालिश करें और 20 मिनट बाद नहाने के लिए जाएं. इससे त्वचा का संक्रमण कम होगा और खुजली में भी आराम होगा. लकवा जैसी बीमारियों और शरीर की कमजोरी में भी महानारायण तेल फायदेमंद है. इसके लिए शरीर पर हल्का गुनगुना तेल लगाकर कुछ देर धूप में बैठें और फिर गुनगुने पानी से ही नहाएं. इससे नसें मजबूत होती हैं और जोड़ों के लिगामेंट को आराम मिलता है.
इसके साथ ही इसे पीठ दर्द, गर्दन दर्द, और नन्हे शिशु की मालिश के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है. ध्यान रखने वाली बात ये है कि तेल को लगाने के बाद पंखे की हवा से दूर रहें और किसी तरह का ठंडा खाने से भी परहेज करें. ऐसा करने से सर्द-गर्म होने की संभावना बनी रहती है.
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पीएस/एएस