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New Delhi, 6 नवंबर . गुलाब के फूल को आम तौर पर प्यार का प्रतीक माना जाता है. इसका इस्तेमाल पूजा के अलावा शादी-ब्याह आदि समारोहों में सजावट के लिए भी होता है, लेकिन क्या आप इसके औषधीय गुणों के बारे में जानते हैं? गुलाब के फूल स्किन को निखारने से लेकर पाचन को मजबूत और पेट को ठंडा रखने में भी मदद करते हैं.
देसी गुलाब के फूल का वनस्पति नाम रोजा सेन्टिफोलिया है. इसे अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है. तमिल में गुलाब को इरोजा या रोजा कहते हैं. कन्नड़ में गुलाबि, पंजाब में गुलाब या गुलेसुर्ख और मलयालम में गुलाबपुष्पम कहा जाता है. बाजार में गुलाब की कई प्रजातियां मौजूद हैं, लेकिन सबसे ज्यादा गुण देसी गुलाब में पाए जाते हैं. अगर पेट में जठराग्नि बढ़ गई है और पेट में अल्सर हो गया है तो देसी गुलाब बहुत लाभकारी होता है.
देसी गुलाब की तासीर ठंडी होती है, इसकी पत्तियों से बना गुलकंद पेट की बढ़ी हुई जठराग्नि को कम करता है और अल्सर के दर्द में भी राहत देता है. इसकी पत्तियों में एंटीबैक्टीरियल और लैक्सटेसिव गुण होते हैं. लैक्सटेसिव पाचन से जुड़े रोगों में मदद करता है. जैसे कब्ज की समस्या होने पर गुलकंद का सेवन किया जा सकता है.
मुंह संबंधी रोगों में गुलाब के पत्ते लाभकारी होते हैं. अगर मुंह से असमय बदबू आती है या गले में दर्द की समस्या होती है, तो गुलाब के पत्तों को चबाया जा सकता है या पानी के साथ उबालकर गरारे किए जा सकते हैं. ये मुंह के अंदर मौजूद बैक्टीरिया को कम करने का काम करते हैं और मसूड़ों में होने वाली सूजन से भी आराम देते हैं.
माइग्रेन और चेहरे से संबंधित परेशानियों में भी गुलाब लाभकारी होती है. बाजार में मिलने वाले ज्यादातर ब्यूटी प्रोडक्ट में गुलाब होने का दावा किया जाता है, लेकिन देसी गुलाब का सीधा प्रयोग स्किन को चमकदार बनाता है.
इसके लिए गुलाब के पत्तों में चुटकी भर कच्ची हल्दी मिलाकर पीस लें और उसमें 1 चम्मच दूध डाल लें. तैयार पेस्ट को चेहरे पर लगाने से दाग-धब्बे कम होते हैं और चेहरे का ग्लो बढ़ता है.
वहीं माइग्रेन के लिए देसी गुलाब के तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है. सिर दर्द होने पर गर्म पानी में गुलाब के तेल की कुछ बूंदें डालकर भाप लेनी चाहिए, इससे सिर दर्द में आराम मिलता है और तनाव कम होता है.
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पीएस/वीसी