गोल्डन एज में दिमाग सबसे एक्टिव, अनुभव से शख्सियत निखरती है: शोध

New Delhi, 19 अक्टूबर . गोल्डन एज में अक्सर लोग (चाहे वो मर्द हों या औरत) कुछ भूल जाने की या दिमाग के ठीक से न काम करने की शिकायत करते सुने जा सकते हैं. लेकिन एक अध्ययन इस सोच को बदलने का दावा करता है. ये गोल्डन एज के लिए खुश खबरी से कम नहीं!

हमारी शारीरिक शक्ति, त्वचा और प्रजनन क्षमता, ये सभी युवावस्था में चरम पर होती हैं – लेकिन एक शोध के परिणामों के आधार पर दावा किया जा रहा है कि हमारे मस्तिष्क के लिए सबसे अच्छा समय वास्तव में जीवन के बहुत बाद के वर्ष होते हैं.

जर्नल इंटेलिजेंस में प्रकाशित इस अध्ययन में उम्र और तर्क, स्मृति की अवधि, प्रोसेसिंग स्पीड, ज्ञान और भावनात्मक बुद्धिमत्ता जैसी क्षमताओं को मापने वाले आंकड़ों की समीक्षा की गई.

अध्ययन के लेखक और पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर गाइल्स ई. गिग्नैक ने कन्वर्सेशन में लिखा, “हम में से कई लोगों के लिए, समग्र मनोवैज्ञानिक कार्यप्रणाली वास्तव में 55 और 60 वर्ष की आयु के बीच चरम पर होती है.”

यह लगभग 65 वर्ष की आयु तक कम होना शुरू नहीं होता – और 75 वर्ष की आयु के बाद ही यह गिरावट और तेज होती है.

टीम ने व्यक्तित्व के पांच प्रमुख लक्षणों पर ध्यान केंद्रित किया, जो बहिर्मुखता, भावनात्मक स्थिरता, कर्तव्यनिष्ठा, स्वभाव में बेबाकपन और सहमति हैं.

उन्होंने पाया कि इनमें से कई गुण बाद के जीवन में भी अपने चरम पर पहुंच जाते हैं, कर्तव्यनिष्ठा 65 वर्ष की आयु के आसपास और भावनात्मक स्थिरता 75 वर्ष की आयु में चरम पर पहुंच जाती है.

उन्होंने पाया कि नैतिक तर्क भी उम्र के साथ बेहतर होती जाती है. गिग्नैक ने कहा, “हमारे निष्कर्ष यह समझाने में मदद कर सकते हैं कि व्यवसाय, राजनीति और सार्वजनिक जीवन में नेतृत्व संबंधित भूमिकाएं 50 और 60 के दशक के शुरुआती वर्षों के लोग निभाते हैं.”

टीम के मुताबिक उम्र बढ़ने के साथ कुछ विशेष योग्यताएं कम होती जाती हैं, लेकिन अन्य क्षेत्रों में विकास से यह कमी संतुलित हो जाती है.

केआर/