नई दिल्ली, 10 नवंबर . उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को कहा कि देश आयात पर निर्भरता कम करने के रास्ते ढूंढ सकते हैं, हमारी युवा पीढ़ी इसका समाधान खोज सकती है.
दिल्ली में महाराजा अग्रसेन तकनीकी शिक्षा संस्था के एक समारोह में उपराष्ट्रपति ने कहा, “मैं आपसे आग्रह करता हूं, आप कोई भी विकल्प चुनें, अपने राष्ट्र में विश्वास रखें, अपने राष्ट्रवाद में विश्वास रखें. यह आपकी बड़ी चिंता का विषय है, हमारे आर्थिक राष्ट्रवाद से समझौता हो रहा है, कुछ लोग पैसा कमाने के बारे में अधिक चिंता करते हैं. कोई भी कमाई आर्थिक राष्ट्रवाद के साथ समझौता करने को उचित नहीं ठहरा सकती.’’
उन्होंने कहा कि हमारे आयातों पर नजर डालें जो अरबों में हैं, उन्हें कम किया जा सकता है. युवा लड़के-लड़कियां और नई पीढ़ी, आप दोनों ही इसका समाधान खोजने वाले वर्ग हैं. आप संकल्प ले सकते हैं, हम अपनी उद्यमिता के कारण अनावश्यक आयात में कटौती करेंगे. इसका तत्काल असर होगा. हम अरबों डॉलर की विदेशी मुद्रा बचाएंगे. हमारे लोगों को यहां हजारों और लाखों की संख्या में काम मिलेगा और उद्यमिता बढ़ेगी.
उपराष्ट्रपति ने कहा कि मैं आग्रह करूंगा कि जब आप अर्थव्यवस्था के बारे में सोचें, तो स्वदेशी के बारे में सोचें. स्वदेशी हमारा मूल मंत्र होना चाहिए. सामाजिक सद्भाव के बिना, बाकी सब कुछ अप्रासंगिक हो जाता है. अगर घर में शांति नहीं है, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि घर में कितनी संपत्ति है या घर कितना बड़ा है. सामाजिक सद्भाव हमारा आभूषण है. हमने इसे सदियों से देखा है. मैं आप सभी से आग्रह करूंगा. प्रथमदृष्टया यह एक अमूर्त विचार लग सकता है, लेकिन अपने माता-पिता, अपने शिक्षकों, अपने बुजुर्गों, अपने पड़ोसियों, अपने साथ रहने वाले लोगों को देखें- यदि आप सहिष्णु हैं, यदि आप सामाजिक सद्भाव बनाए रखते हैं, तो इसमें कुछ खास बात है. यह एक ऐसी बारिश की तरह होगी, जिसमें सभी को प्रसन्नता का अनुभव होगा.
उन्होंने कहा, “मैं आप सभी से आग्रह करता हूं, ग्रहणशील बनें, सहनशील बनें, यह हमेशा लाभ देगा. हर काम में स्वयं से पूछें, मैं सामाजिक सद्भाव कैसे बढ़ा सकता हूं. आखिरकार, हम अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने वाली मशीन नहीं हैं. हम इंसान हैं. हम एक ऐसे राष्ट्र का हिस्सा हैं, जो पांच हजार साल पुरानी सभ्यता है.”
नागरिक के तौर पर अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों पर ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि हम अपने अधिकारों के प्रति बहुत सचेत हैं, लेकिन हर अधिकार कर्तव्य से जुड़ा हुआ है. जिस तरह राष्ट्र का हित राजनीतिक और व्यक्तिगत हितों से ऊपर है, उसी तरह आपका हर अधिकार, आपका मौलिक अधिकार भी, आपकी जिम्मेदारी से अधिक महत्वपूर्ण नहीं है. यह आपका नागरिक कर्तव्य है कि आप कर्तव्यों को हमेशा अधिकारों से अधिक प्राथमिकता दें.
नई शुरू की गई इंटर्नशिप योजना और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) की सराहना करते हुए धनखड़ ने कहा, “राष्ट्रीय शिक्षा नीति तीन दशकों के गहन विचार-विमर्श के बाद विकसित की गई है. इसमें सैकड़ों, हजारों सुझावों को ध्यान में रखा गया. अनुभवजन्य शिक्षा, आलोचनात्मक सोच, अनुसंधान के लिए उद्योग-अकादमिक साझेदारी को सक्षम करते हुए तथा पिछले बजट में सरकार द्वारा युवाओं के लिए इंटर्नशिप हेतु जो नया तंत्र विकसित किया गया है, वह गेम-चेंजर होने जा रहा है. शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर उद्यमिता संबंधी कौशल और डिजाइन के इस एकीकरण का उद्देश्य छात्रों के लिए उद्यमिता को एक व्यवहार्य कैरियर मार्ग के रूप में स्थापित करना है.”
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जीसीबी/एकेजे