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New Delhi, 1 नवंबर . अगर आपने कभी माया भ्रम (हैलुसिनेशन) के बारे में सुना है, तो आमतौर पर लोग सोचते हैं कि यह सिर्फ ऐसी चीजें देखने या महसूस करने की स्थिति है, जो असल में मौजूद नहीं होती. असलियत में यह थोड़ा और जटिल होता है. इसमें न केवल आपको चीजें दिखाई देती हैं, बल्कि आप उन्हें छूने, सूंघने या सुनने का अनुभव भी कर सकते हैं.
ऐसा होने के कई कारण हो सकते हैं. सबसे आम कारण मानसिक रोग हैं, जैसे कि सिजोफ्रेनिया. इस बीमारी वाले लगभग 68-70 प्रतिशत लोग हैलुसिनेशन का अनुभव करते हैं और 52-60 प्रतिशत लोगों को आवाजें भी सुनाई देती हैं. कुछ को तो ऐसी खुशबू भी महसूस होती है, जो वहां नहीं होती.
पार्किंसंस रोग में भी लगभग आधे मरीजों को माया भ्रम देखने को मिलता है. यह मस्तिष्क से जुड़ी बीमारी है और आमतौर पर बुजुर्गों में होती है. वहीं, अल्जाइमर या डिमेंशिया में दिमाग में बदलाव के कारण मरीज को काल्पनिक चीजें दिखने लगती हैं. माइग्रेन के मरीजों में भी रंग-बिरंगी लाइट या माया भ्रम देखने को मिल सकता है.
ब्रेन ट्यूमर और मिर्गी जैसी बीमारियों में भी हैलुसिनेशन हो सकता है. मिर्गी के दौरे के दौरान यह स्थिति ज्यादा दिख सकती है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि मस्तिष्क के कौन से हिस्से प्रभावित हैं. शराब का अत्यधिक सेवन भी काल्पनिक चीजें देखने या सुनने का कारण बन सकता है.
हैलुसिनेशन के अलग-अलग प्रकार भी होते हैं. ऑडिटरी हैलुसिनेशन में आपको आवाजें सुनाई देती हैं, विजुअल हैलुसिनेशन में आंखों के सामने चीजें असली जैसी दिखती हैं और ऑल्फेक्टरी हैलुसिनेशन में किसी चीज की खुशबू महसूस होती है, जो वास्तव में वहां नहीं होती. इसके पीछे कारण जैसे बाइपोलर डिसऑर्डर, डिप्रेशन, स्लीप डिसऑर्डर, ब्रेन ट्यूमर, पार्किंसंस, माइग्रेन और सिर की चोट आदि हो सकते हैं.
अगर आपको या आपके किसी परिचित को ऐसी स्थिति महसूस हो रही है, तो डॉक्टर से सलाह लेना बहुत जरूरी है. समय पर इलाज से इस स्थिति को काफी हद तक ठीक किया जा सकता है और व्यक्ति जल्दी रिकवर कर सकता है.
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पीआईएम/एबीएम