योगिनी एकादशी पर 19 साल बाद बन रहा है गजब का संयोग!

नई दिल्ली, 20 जून . हिंदू धर्म में योगिनी एकादशी का व्रत बहुत खास माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है और बीमारियों के साथ ही पूर्व जन्म के पापों से भी मुक्ति मिलती है.

पुराणों में योगिनी एकादशी को रोगों से दूर करने वाली सबसे प्रभावशाली तिथि बताया गया है, खासकर उन लोगों के लिए जो लंबे समय से मानसिक या शारीरिक पीड़ा से जूझ रहे हैं. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत रखने का प्रावधान है, और माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से 88,000 ब्राह्मणों को भोजन कराने से सांसारिक बंधनों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है.

यह व्रत मनुष्य को इंद्रिय संयम और आत्म-चिंतन की प्रेरणा देता है. इस दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा भी आपको करनी चाहिए और पूजा के दौरान भगवान विष्णु को मौसमी फल, पीले पुष्प और तुलसी अवश्य अर्पित करना चाहिए. तुलसी के पत्ते आपको एक दिन पहले ही तोड़कर रख देने चाहिए.

21 जून उत्तरी गोलार्ध में साल का सबसे लंबा दिन होता है, जिसे ग्रीष्म संक्रांति या सोलर सोलिस्टिस के नाम से जाना जाता है. इस दिन सूर्य अपनी अधिकतम उत्तरी स्थिति में होता है, जिसके कारण दिन की अवधि सबसे लंबी और रात की सबसे छोटी होती है. यह योग 19 साल बाद बन रहा है: योगिनी एकादशी और साल का सबसे बड़ा दिन एक ही दिन बन रहे हैं.

दृक पंचांग के अनुसार, इस दिन पक्ष की एकादशी तिथि 21 जून को सुबह 07 बजकर 18 मिनट पर शुरू होगी. तिथि का समापन 22 जून को सुबह 04 बजकर 27 मिनट पर होगा, वहीं राहूकाल का समय सुबह 08:53 से 10:38 तक रहेगा. ऐसे में 21 जून को योगिनी एकादशी व्रत किया जाएगा. 21 जून को सूर्य जल्दी उदय होगा और देर से अस्त होगा, करीब 14 घंटे का दिन रहेगा.

एनएस/केआर