प्रयागराज, 11 नवंबर . कुंभ नगरी प्रयागराज की पहचान उसके धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक स्वरूप से है. धार्मिक क्षेत्र होने की वजह से विभिन्न धार्मिक और पौराणिक परंपराओं के प्रचलन के लिए भी इसे जाना जाता रहा है. विभिन्न धार्मिक परिक्रमा भी इसी में सम्मिलित हैं जो समय के साथ पीछे छूट गई. प्रदेश की योगी सरकार के सहयोग और प्रेरणा से ये पुनः आरंभ हुई हैं. द्वादश माधव की परिक्रमा यात्रा भी इसी का हिस्सा है, जिसकी शुरुआत देवोत्थान एकादशी से हुई है.
कुंभ नगरी प्रयागराज पौराणिक मंदिरों का शहर है. इन मंदिरों में भी द्वादश माधव कुंभ नगरी की आध्यात्मिक पहचान है. इन्हीं द्वादश माधव में एक श्री वेणी माधव की प्रयाग के नगर देवता के रूप में मान्यता है.
इस पहचान को स्थापित करने के लिए देवोत्थान एकादशी से द्वादश माधव परिक्रमा की शुरुआत की गई. प्रयागराज के अनंत माधव के पौराणिक मंदिर से इसकी शुरुआत हुई, जिसमें विभिन्न माधवों के प्रमुख और अखाड़ों के संत शामिल हुए. श्री अनंत माधव के महंत आदित्यानंद जी का कहना है कि श्री अनंत माधव से शुरू हुई यह परिक्रमा यात्रा विभिन्न माधव होते हुए श्री चक्र माधव अरैल में संपन्न होगी.
इस पांच दिवसीय यात्रा में सभी द्वादश माधव के मंदिरों में अनुष्ठान और आरती का आयोजन किया जाएगा. परिक्रमा यात्रा में शामिल हुए अग्नि अखाड़े के संत और मंदिर व्यवस्थापक महंत बीरेंद्रानंद ने बताया कि लंबे समय से यह परिक्रमा यात्रा बंद पड़ी थी, लेकिन उत्तर प्रदेश में योगी सरकार आने के बाद जैसे औरंगजेब के जमाने से बंद पड़ी प्रयागराज की पंचकोसी परिक्रमा की शुरुआत हुई, वैसे ही उन्हीं की प्रेरणा से द्वादश माधव परिक्रमा यात्रा भी आरंभ हुई है.
महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र कुंभ क्षेत्र के अलावा प्रयागराज के प्राचीन मंदिर भी हैं, जिनके साथ यहां की पौराणिक मान्यता जुड़ी हुई है. मंदिरों के इस समूह में द्वादश माधव मंदिर समूह सर्वप्रथम है, जिनकी मूल संरचना को संरक्षित रखते हुए उनका कायाकल्प का कार्य योगी सरकार कर रही है. कुल 12.34 करोड़ की लागत से इन प्राचीन पौराणिक मंदिरों को नव्य स्वरूप दिया जा रहा है. जिससे यह श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेंगे. द्वादश माधव परिक्रमा यात्रा इन पौराणिक मंदिरों को जनमानस से पुनः जोड़ने का एक माध्यम बनेगी.
श्री चक्र माधव के प्रमुख महंत अवधेश दास जी महाराज का कहना है कि योगी सरकार ने उपेक्षित पड़ी पौराणिक विरासतों को नए सिरे से संयोजित किया है. द्वादश माधव के हर मंदिर के सौंदर्यीकरण के लिए 22 लाख से अधिक का सहयोग सरकार से मिला है. मंदिरों में थीम पर आधारित प्रवेश द्वार, म्यूरल्स, सत्संग भवन, फ्लोरिंग, पेय जल की व्यवस्था, बाउंड्री वॉल और ग्रीनरी का विकास किया गया है. जिससे जर्जर हो चुके प्राचीन महत्वपूर्ण मंदिर अब अपने भव्य स्वरूप में आ गए हैं.
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एसके/एबीएम