New Delhi, 4 सितंबर . बिहार में एसआईआर की प्रक्रिया को लेकर राजनीतिक विश्लेषक योगेंद्र यादव ने सरकार और चुनाव आयोग पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि सरकार लोगों के घरों में जाए और उनके वोट दर्ज करे.
बिहार एसआईआर पर योगेंद्र यादव ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि देश में पहली बार जनता से कहा जा रहा है कि आप फॉर्म और दस्तावेज दो, जिसका भारत के प्रावधान में कोई कानून नहीं है. अगर इस व्यवस्था को लागू किया गया तो गरीब, मजदूर और महिलाओं का वोट कटेगा. यदि भारत सार्वभौमिक मताधिकार, सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार चाहता है तो केवल एक ही रास्ता है कि सरकार लोगों के घरों में जाए और उनके वोट दर्ज करे. एसआईआर मतदाता सूची में सुधार करने का कोई तरीका नहीं है, यह नए नियमों के साथ इसे फिर से लिखने का एक तरीका है, जो लोकतंत्र के खिलाफ है.
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग कांग्रेस नेता राहुल गांधी से शपथपत्र मांगता है तो अनुराग ठाकुर से क्यों नहीं मांगता? जिस Samajwadi Party ने हजारों शपथपत्र दे दिए थे, उसके साथ चुनाव आयोग ने कौन सी जांच और कार्रवाई की थी? अगर चुनाव आयोग को देश की चुनावी व्यवस्था को सुधारने की चिंता है तो ऐसे में किसी शपथपत्र की जरूरत क्या है?
योगेंद्र यादव कहते हैं कि चुनाव आयोग ने यह स्पष्ट घोषणा की है कि 1 जनवरी 2026 की कट-ऑफ तारीख के आधार पर पूरे देश में एसआईआर प्रक्रिया लागू की जाएगी. जहां भी ऐसा होगा, वहां वोट कम हो जाएंगे. जहां भी ऐसा होगा, वहां गरीबों, मजदूरों और महिलाओं के वोट प्रभावित होंगे. इस देश की जनता और Supreme court को तय करना है कि ऐसा होने देना या नहीं.
उन्होंने जीएसटी में सुधारों को लेकर कहा कि जीएसटी के जितने कम स्लैब होंगे, उतना ही अच्छा काम करेगा. जीएसटी से राज्यों का हिस्सा बेहतर होना चाहिए. इस सुधार की भी जरूरत है.
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एएसएच/डीकेपी