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New Delhi, 29 अक्टूबर . विश्व मितव्ययिता दिवस या विश्व बचत दिवस हर साल पूरी दुनिया में 31 अक्टूबर को मनाया जाता है. इसका उद्देश्य लोगों को बचत के महत्व के बारे में जागरूक करना है, जिससे अपने भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, लोग बचत को प्राथमिकता दें.
31 अक्टूबर, 1984 को पूर्व Prime Minister इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद, इस दिन को India में 30 अक्टूबर को मनाया जाता है.
विश्व बचत दिवस को पहली बार वर्ल्ड सोसाइटी ऑफ सेविंग्स बैंक्स की ओर से 31 अक्टूबर, 1924 को इटली के मिलान में मनाया गया था. इस दिन की कल्पना का श्रेय इटली के प्रोफेसर फिलिपो रविजा को दिया जाता है, जिन्होंने इसे अंतरराष्ट्रीय बचत दिवस नाम दिया.
रविज्जा द्वारा इस दिन को मनाने उद्देश्य परिवारों और लोगों को अपने भविष्य, अपने बच्चों, मेडिकल इमरजेंसी और अन्य किसी स्थिति के लिए बचत के प्रति जागरूक करना है.
विश्व बचत दिवस को मनाया जाना तो 1924 में शुरू कर दिया गया था, लेकिन यह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद तेजी से लोकप्रिय तब हुआ, जब युद्ध के कारण लोगों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया था. फिर पुरी दुनिया में करीब सभी बड़े देशों ने अपने लोगों में बचत को लोकप्रिय बनाने के लिए, इस दिवस को तेजी से प्रसारित किया.
आज के दौर में बचत केवल पैसों को जमा करने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि निवेश के नए आसान तरीकों ने इसे नया रूप दे दिया है.
वर्तमान में बचत खातों के अलावा, म्यूचुअल फंड, फिक्स्ड डिपॉजिट, एसआईपी, इक्विटी और अन्य साधन बचत में काफी लोकप्रिय हो चुके हैं.
हाल के वर्षों में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के जरिए बचत का ट्रेड तेजी से बढ़ा है. म्यूचुअल फंड में एसआईपी इनफ्लो सितंबर में 4 प्रतिशत बढ़कर रिकॉर्ड 29,361 करोड़ रुपए हो गया है, जो कि अगस्त में 28,265 करोड़ रुपए पर था.
एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड इन इंडिया (एएमएफआई) की ओर से जारी किए गए डेटा के मुताबिक, सितंबर में कुल एसेट अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) बढ़कर 75.6 लाख करोड़ रुपए हो गया है, जो कि अगस्त में 75.2 लाख करोड़ रुपए था.
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एबीएस/