वाराणसी, 13 अक्टूबर . दशहरे के एक दिन बाद धर्मनगरी काशी में होने वाला ‘भरत मिलाप’ विश्व प्रसिद्ध है. ‘भरत मिलाप’ की लीला मात्र पांच मिनट की होती है, लेकिन इसकी भव्यता बहुत होती है. रविवार को आयोजित हुए इस ऐतिहासिक ‘भरत मिलाप’ कार्यक्रम में लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ मौजूद रही.
काशी में ‘भरत मिलाप’ का आयोजन 481 वर्षों से लगातार चलता आ रहा है. हर साल की भांति इस साल भी ‘भरत मिलाप’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया.
इसमें भक्तों की बहुत अधिक संख्या मौजूद रही. ऐसी मान्यता है कि यहां पर ‘भरत मिलाप’ कार्यक्रम में राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न साक्षात दर्शन देते हैं.
वाराणसी के नाटी इमली में ‘भरत मिलाप’ का कार्यक्रम आयोजित होता है. यहां जिस चबूतरे पर राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का मिलन होता है, वहां पर एक तय समय पर सूरज की किरणें पड़ती हैं. इस खास समय पर चारों भाई एक-दूसरे की तरफ दौड़ते हैं और उनको गले लगाते हैं. ये बहुत ही भव्य दृश्य होता, जिसको देखकर वहां पर मौजूद लोगों की आंखें नम हो जाती हैं.
इस अवसर पर काशी राज परिवार के कुवंर अनंत नारायण सिंह भी मौजूद हुए. उन्होंने हाथी पर सवार होकर इलाके का भ्रमण किया.
कार्यक्रम के दौरान भगवान के रथ को वहां के स्थानीय लोग खींचते हैं. वाराणसी के यदुवंशी इस कार्यक्रम के लिए बेसब्री से इंतजार करते हैं. वो आंखों में सूरमा लगाकर माथे पर लाल रंग की पगड़ी बांधते हैं. सफेद रंग की धोती पहने ये लोग भगवान के रथ को मजबूती से सहारा देते हैं. इस दौरान ढोल-नगाड़ों और डमरू वादन से पूरा इलाका गूंजता है.
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एससीएच/एबीएम