‘विश्व स्तनपान सप्ताह’ केवल हेल्थ कैंपेन नहीं, मां और शिशु के जीवन को सशक्त बनाने का संकल्प: केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी

New Delhi, 1 अगस्त . विश्व स्तनपान सप्ताह (1-7 अगस्त) को महिला एवं बाल विकास मंत्री और कोडरमा सांसद अन्नपूर्णा देवी ने मां और शिशु के बीच जीवनदायी रिश्ते को मजबूत करने का संकल्प बताया.

उन्होंने social media प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो साझा करते हुए कहा, “यह केवल स्वास्थ्य अभियान नहीं, बल्कि मातृत्व को सशक्त बनाने का प्रयास है. इस साल की थीम ‘स्तनपान को प्राथमिकता दें: स्थायी सहायता प्रणालियां बनाएं’ माताओं और शिशुओं के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने पर केंद्रित है.”

उन्होंने कैप्शन में लिखा, “‘विश्व स्तनपान सप्ताह’ केवल एक स्वास्थ्य अभियान नहीं, बल्कि मां और शिशु के बीच जीवनदायी संबंध को सशक्त बनाने का संकल्प है. Prime Minister Narendra Modi के नेतृत्व में मातृ वंदना योजना, जननी सुरक्षा योजना और पोषण अभियान जैसी पहलें मातृत्व को सुरक्षा, सम्मान और शक्ति प्रदान कर रही हैं. आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और आशा बहनों के सतत प्रयासों के साथ-साथ पोषण ट्रैकर जैसे डिजिटल टूल्स माताओं को अधिक जागरूक, समर्थ और स्वास्थ्य-साक्षर बना रहे हैं.”

अन्नपूर्णा देवी ने कहा, “स्तनपान को बढ़ावा देना समाज के लिए एक सामूहिक जिम्मेदारी है, जो मां और शिशु दोनों के लिए जीवन रक्षक है. इस अभियान का लक्ष्य समाज, कार्यस्थलों और Governmentी नीतियों में ऐसी व्यवस्थाएं बनाना है जो माताओं को स्तनपान के लिए प्रोत्साहित करें.”

अन्नपूर्णा देवी ने वीडियो में अपील की कि गर्भवती महिलाओं को स्तनपान के महत्व के बारे में जागरूक करना जरूरी है. उन्होंने Prime Minister Narendra Modi के नेतृत्व में चल रही मातृ वंदना योजना, जननी सुरक्षा योजना और पोषण अभियान जैसी योजनाओं की सराहना की, जो माताओं को सुरक्षा और समर्थन प्रदान करती हैं. आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं के साथ पोषण ट्रैकर जैसे डिजिटल उपकरण माताओं को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बना रहे हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और यूनिसेफ के अनुसार, स्तनपान शिशुओं को कुपोषण, दस्त और निमोनिया जैसी बीमारियों से बचाता है, साथ ही माताओं में स्तन कैंसर, डिम्बग्रंथि कैंसर और टाइप-2 मधुमेह का खतरा कम करता है. स्तन के दूध में मौजूद एंटीबॉडी शिशुओं को बीमारियों से सुरक्षा देते हैं. आंकड़े बताते हैं कि स्तनपान दरों में सुधार से हर साल 8,20,000 बच्चों की जान बचाई जा सकती है. हालांकि, वैश्विक स्तर पर केवल 48 प्रतिशत शिशुओं को 6 महीने तक पूर्ण स्तनपान कराया जाता है.

एमटी/केआर