उदयपुर (Udaipur). भारत के प्रस्ताव को स्वीकार कर सयुंक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट/पोषक अनाज वर्ष घोषित किया है . भारत मोटे अनाजों का गढ़ जाना जाता हैं और सेहत के लिए ये बहुत लाभकारी हैं . ये विचार पेसिफिक समूह के संरक्षक प्रो. बी.पी. शर्मा ने पेसिफिक विश्वविद्यालय के अकादमीक परिषद् में व्यक्त किये . पेसिफिक विश्वविद्यालय के अध्यक्ष डॉ. के.के. दवे ने मोटे अनाज वाली फसलों का उत्पादन बढ़ाने एवं अपने भोजन में इन फसलों को आवश्यक रूप से शामिल करने के बारे में बताया .
पेसिफिक कृषि महाविद्यालय द्वारा इस अवसर पर एक वृहद प्रदर्शनी लगाई गई जिसमें बाजरा, ज्वार, रागी, सावाँ, कांगनी, चीना, कोंदो, कुटकी आदि पोषक फसलों के बारे में जानकारी दी गई . संकाय अध्यक्ष एवं डीन प्रो. एस.आर. मालू इन सुपर फूड्स के उत्पादन, उपयोगिता, प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन, निर्यात आदि विषयों पर जानकारी दी गई . मोटे अनाजों पर एक दिवसीय सात कार्यशालाओं का विगत दो माह में आयोजन किया गया. इस कार्यशालाओं में लगभग 300 उदयपुर (Udaipur) जिले की महिलाओं को प्रशिक्षित किया. ये जागरूकता कार्यक्रम विश्वविद्यालय द्वारा वर्ष परियांत चलते रहेंगे .
इन फसलों की उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए पेसिफिक विश्वविद्यालय दक्षिणी राजस्थान (Rajasthan) के उपभोक्ताओं के लिए तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन करेगा जिसमें मोटे अनाजों की महत्वता व विभिन्न व्यंजन बनाने का प्रशिक्षण दिया जायेगा . इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभी संकाय अध्यक्ष, विभागाध्यक्ष एवं गणमान्य अतिथि उपस्थित थे .