New Delhi, 10 सितंबर . आज के समय में मोबाइल और कंप्यूटर का अत्यधिक प्रयोग, घंटों तक झुककर काम करना और गलत जीवनशैली सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस की समस्या को तेजी से बढ़ा रहा है. यह बीमारी गर्दन और रीढ़ की हड्डी से जुड़ी हुई है, जो केवल दर्द ही नहीं देती, बल्कि जीवन की गुणवत्ता को भी बुरी तरह प्रभावित करती है.
गर्दन में मौजूद रीढ़ की हड्डी का हिस्सा ‘सर्वाइकल स्पाइन’ कहलाता है. इसमें 7 कशेरुकाएं होती हैं, जो सिर को सहारा देती हैं और दिमाग से पूरे शरीर तक संदेश पहुंचाती हैं. जब इन कशेरुकाओं या डिस्क में घिसाव, सूजन या दबाव की स्थिति बनती है तो उसे सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस कहा जाता है.
इस समस्या का सबसे बड़ा कारण लंबे समय तक गलत मुद्रा में बैठना है. आधुनिक जीवनशैली में लोग झुककर मोबाइल या लैपटॉप का इस्तेमाल करते हैं, जिससे गर्दन पर लगातार दबाव पड़ता है. इसके अलावा, एक्सीडेंट या गिरने से चोट लगना, 40 वर्ष के बाद हड्डियों और डिस्क का कमजोर होना, तनाव, तथा कैल्शियम, विटामिन-डी और मैग्नीशियम की कमी भी सर्वाइकल का कारण बन सकते हैं.
सर्वाइकल के लक्षण की बात करें तो गर्दन, कंधे और पीठ में लगातार दर्द, हाथ और बाजू में झनझनाहट या सुन्नपन, सिरदर्द और चक्कर आना, गर्दन को घुमाने में कठिनाई, थकान और कमजोरी तथा कभी-कभी दृष्टि धुंधली होना और नींद न आना जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
आयुर्वेद में सर्वाइकल को ‘ग्रीवा स्तंभ’ कहा गया है और इसे वात दोष की वृद्धि से जोड़ा गया है. वात दोष बढ़ने पर स्नायु और कशेरुकाएं कमजोर होकर दर्द, जकड़न और सूजन उत्पन्न करती हैं.
आयुर्वेद के अनुसार, वात दोष को संतुलित करना ही इस रोग का स्थायी समाधान है.
सर्वाइकल की समस्या को खत्म करने के लिए निम्न घरेलू और आयुर्वेदिक नुस्खे आप अपना सकते हैं :-
अजवाइन को तवे पर गर्म करके कपड़े में बांधें और फिर गर्दन पर सेंक लगाएं. इससे दर्द और जकड़न कम होती है.
सरसों के तेल में लहसुन भूनकर गर्दन पर मालिश करें. यह रक्त संचार को तेज करता है और सूजन घटाता है.
गिलोय, हल्दी और अदरक का काढ़ा पीने से शरीर में सूजन और दर्द कम होता है.
मेथी दाना रातभर भिगोकर सुबह चबाएं या दूध में मिलाकर पी लें. इससे हड्डियों और स्नायु को मजबूती मिलती है.
भुजंगासन, ताड़ासन, मकरासन और गर्दन घुमाने वाले सरल योगासन सर्वाइकल में राहत देते हैं.
गुनगुने पानी से नहाना या गर्म पट्टी लगाना मांसपेशियों का तनाव कम करता है.
रोजाना 15 से 20 मिनट धूप लेने से विटामिन-डी की कमी पूरी होती है.
इसके अलावा आहार में दूध, हरी सब्जियां, तिल, बादाम और दालें शामिल करें.
उपचार के साथ ही जीवनशैली में बदलाव जरूरी है. लंबे समय तक मोबाइल या लैपटॉप का उपयोग करने से बचें. यदि काम के कारण बैठना जरूरी हो, तो हर 30 मिनट में गर्दन घुमाएं. सोते समय न तो बहुत ऊंचा और न ही बहुत नीचा तकिया लें. तनाव से दूर रहना भी जरूरी है, क्योंकि यह समस्या को और गंभीर बना सकता है.
–
प्रतीक्षा/एबीएम